मस्त विचार 3912 | Jan 7, 2024 | मस्त विचार | 0 comments ख्वाहिशें कम हों तो पत्थरों पर भी नींद आ जाती है, _ वरना मख़मल के बिस्तर भी चुभने लगते हैं. वो नींद ही अलग होती है, _ जो बुरी तरह रोने के बाद आती है…! Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ