विपरीत परिस्थितियों में स्वयं को खुश रखने के लिए,
सकारात्मक बातों का खजाना अवश्य याद रखें.
दूसरों को समझाने के बजाय..
_हम खुद ही परिस्थिति के अनुसार खुद को ढाल लें तो बेहतर है..!!
“ये जीवन है” जब तक चलेगा, घटनाएं घटती रहेंगी.
_महत्वपूर्ण यह है कि हमारा इन घटनाओं के साथ कैसा व्यवहार रहा ?
_ यही मनुष्य की परीक्षा के अवसर होते हैं.
_इन अयाचित परिस्थितियों में अपना मानसिक संतुलन बनाए रखना होगा..
_ तब ही जीवन सकारात्मक ढंग से आगे बढ़ता है.