सुविचार 4238

हम कौन से हज़ार और दो हज़ार साल जीने आतें हैं यहां …

_ महज़ पचास साठ साल की जिंदगी में ही इतनी बेचारगी,

_ बेबसी और बोझ है की जिंदगी मजबूरी बन जाती है…!!!

” इसलिए समझदारी और ज्ञान के साथ जियें ”

मिट्टी के दीपक सा है ये तन, तेल खत्म तो खेल ख़त्म..!!
सब ओढ़ लेंगे मिट्टी की चादर एक दिन,

_ दुनिया का हर चिराग हवा की नज़र में है..!!

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