मस्त विचार 4245 | Dec 5, 2024 | मस्त विचार | 0 comments क्या बेचकर हम खरीदें ” फुर्सत ऐ ” ज़िन्दगी… _ सब कुछ तो ” गिरवी ” पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में..!! ‘जिम्मेदारी’ वो पिंजरा है, जहाँ इंसान आजाद होकर भी कैद है..!! Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ