टेंशन, डिप्रेशन और बैचैन इंसान तभी होता है,
_ जब वो खुद के लिए कम और दूसरों के लिए ज्यादा सोचता है.
अब तो टेंशन लेने की इतनी आदत हो गई है, कि कभी टेंशन न हो तो टेंशन होने लगती है कि सब कुछ ठीक कैसे चल रहा है.!!
_ जब वो खुद के लिए कम और दूसरों के लिए ज्यादा सोचता है.