मस्त विचार 007

मुझको किताबों में कहाँ ढूँढोगे,

मै तुम्हारे ही मन पर लिखा अफ़साना हूँ.

मुझको पेड़ की शाखाओं में कहाँ पाओगे,

मै फूलों में छिपा खुशबू का खजाना हूँ.

नदिया में समन्दर में नहीं मिल सकता,

मै बहते हुए झरनों का ठिकाना हूँ.

दो कदम साथ तो चल कर देखो,

मेरे यार मै हमसफ़र बड़ा मस्ताना हूँ.

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