सुविचार – निन्दा – निंदा – चुगली – बुराई – कानाफूसी – 011

आइए हम अपने आप को ही अच्छा बना लें,

_ ताकि दुनिया से एक बुरा इंसान कम हो जाए..!!

खुद को दूसरों की निंदा और चुगली करने से खुद को बचाए रखने की आदत विकसित करें _आपको जबरदस्त लाभ होगा.
अपने अंदर के बुरे को संतुष्ट करने के लिए, ग़लत करने पर, अपनी ज़मीर की आवाज़ को दबाने के लिए, _हर इंसान दूसरों की बुराई के बारे में भौंकने लगता है.
निंदा-चुगली-कानाफूसी में रुचि लेना मानवीय आचरण के अनुरूप नहीं है.

_इससे बचें और आलोचना का सकारात्मक रूप अपनाएं.

क्योंकि वह वैसा नहीं करता, जैसा आप करते हैं,

या वह वैसा नहीं सोचता, जैसा आप सोचते हैं.!!

_क्या इसीलिए आप किसी की निंदा करते हैं ?

अपने दिल दिमाग के थोड़े से भी हिस्से से आप बुराइयों को निकाल बाहर कीजिए, _

_ तुरंत उस रिक्त स्थान को सृजनात्मकता भर देगी ..

आज के समय में लोग आपकी बुराई पर एकदम विश्वास करेंगे लेकिन अच्छाई पर नहीं..

_ बुराई हैरान नहीं करती, अच्छाई करती है..!!

ज्यादातर लोग सिर्फ इस लिए दुःखी हैं, क्योंकि _

_ उन्हें खुद से ज्यादा दूसरों की पंचायती में रहने से मतलब है ..

जब आप औरों का बुरा करने की यात्रा शुरू करते हैं तो

_ अपनी भी बर्बादी का रास्ता खोल लेते हैं..!!

आपकी आदत है आलोचना, निंदा करने की _ तो जी भर कर किया करिए ;

_ क्यूंकि समझदार आदत में सुधार कर के सुखी हो जायेगा, और नासमझ आप से दूर होकर !!

“चुगली- निंदा” शुरुआत में सुखद और मजेदार लग सकता है,

_लेकिन अंत में, यह हमारे दिलों को कड़वाहट और जहर से भर देता है !

ध्यान दें कि लोग आपसे दूसरे लोगों के बारे में कैसे बात करते हैं.

_क्योंकि ठीक इसी तरह वे आपके बारे में दूसरों से बात करते हैं.!!

लोगों का काम है चुगली-निंदा का स्वाद लेना,

_ आज मेरा ले रहे हैं कल आपका और परसों किसी और का लेंगे..!!

प्रशंसा नहीं कर सकते तो निन्दा भी न करें. निन्दा करनी भी है तो सधे हुए शब्दों में करें, जो सीख दे न कि चोट पहुँचाए.
ज्ञानियों का समय काव्य और ग्रंथो के आनन्द में व्यतीत होता है और मूर्खों का बुराई तथा लड़ाई-झगडे में.
माना कि आप किसी बुराई की वजह नहीं होगें, _ पर किसी अच्छाई की वजह तो बन ही सकते हो.
अगर आप दूसरों की बुराई करते हैं, तो उस से केवल दूसरा ही नहीं बल्कि आप भी प्रभावित होते हैं.

अच्छे आदमी की जरा सी बुराई जल्दी फ़ैल जाती है. बुरे आदमी को बुरा कहने वाले कम होते हैं.

वह व्यक्ति कभी बहादुर नहीं हो सकता, जो कष्टों को जीवन की सब से बड़ी बुराई समझता है.
खुद मे झाकने के लिये जिगर चाहिये, _ दुसरो की बुराईया खोजने मे तो हर शख्स माहिर है.
निंदा भी कमाल की “ऊर्जा” _ निंदा कायर को मार देती है और साहसी को निखार देती है.
आप निंदा में जो कुछ भी कहते हैं _ वह सिर्फ दूसरों की निंदा नहीं है, _ वह आपकी घबराहट को ही दर्शाता है.
लोग चर्चा ही न करें, यह अधिक बुरा है _ वे हमारी निंदा करें, यह कम बुरा है !
ऐसा जीवन जियो कि अगर कोई आपकी बुराई भी करे तो लोग उस पर विश्वास न करें.
स्वयं की उन्नति में अधिक समय देंगे तो, दूसरों की निंदा करने का समय नहीं मिलेगा.
समझदार इंसान ना तो किसी की बुराई सुनता है और ना ही किसी की बुराई करता है.
अपनी तारीफ स्वयं करें _ क्योकि..आपकी बुराई करने को बहुत से तैयार बैठे हैं… !!
चापलूसी और चुगली कोई कितनी भी कर ले, डंका सच्चाई का ही बजेगा..!!
​“किसी में कोई बुराई नजर आए तो प्रार्थना करें कि उसकी वह बुराई दूर हो जाए.”

“If you find fault with anybody, pray for their freedom from it.”

ख़ुद में झांकने का जिगर चाहिए, _ दूसरों की बुराई में तो हर शख्स माहिर है.
दूसरों की बुराई करके आप अपना किरदार अच्छा नहीं कर सकते.
दिल में “बुराई” रखने से बेहतर है, कि “नाराजगी” जाहिर कर दो.
खुश होना है तो तारीफ सुनिए… _ और बेहतर होना है तो निंदा…
दूसरे की बुराई देखना और सुनना ही बुरा बनने की शुरुआत है.
बुराई कितनी भी बड़ी हो, पर अच्छाई के सामने छोटी ही होती है.
शब्द यात्रा करते हैं, इसलिए पीठ पीछे भी, किसी की निंदा न करें.
जो पीठ पीछे आपकी बुराई करते हैं, उनसे एक ही बात कहो “लगे रहो”
ज़िंदा हो तो निंदा भी होगी, तारीफ़ तो मरने के बाद होती है.
बुराई हमेशा वही लोग करते हैं, जो बराबरी नहीं कर सकते.
खुद बुराई करके _ अच्छाई की उम्मीद दूसरों से मत रखना..
ख़ुश होना है तो तारीफ़ सुनिए और बेहतर होना है तो निंदा..
बुरा इतना ही करो, जब खुद पर आए तो बर्दाश्त कर सको.
आगे बढ़ना है तो _निंदा करने वालों को _बड़े हल्के में लें..
दूसरों से मदद की उम्मीद ही हर बुराई की जड़ है.
किसी की “निंदा” से घबराकर अपने “लक्ष्य” को नही छोड़े,

क्यों कि…अक्सर “लक्ष्य” मिलते ही निंदा करने वालों की “राय” बदल जाती है.

#भलाई करते रहिए बहते #पानी_की_तरह ..

बुराई ख़ुद ही किनारे लग जाएगी कचरे की तरह …

लोग प्रशंसा करते हैं या निंदा इसकी चिंता छोड़ो,

सिर्फ एक बात सोचो कि ईमानदारी से जिम्मेदारियाँ पूरी की गईं या नहीं.

उन व्यक्तियों के जीवन में आनंद और शांति कई गुना बढ़ जाती है..!

जिन्होंने प्रशंसा और निंदा दोनों में एक जैसा रहना सीख लिया..!!

“जो लोग नसीब के सहारे कुछ पाना चाहते हैं,

वो हमेशा कामयाब लोगों की निंदा कर स्वयं को सांत्वना दे लेते हैं”

..समझदार इंसान अपने काम से ही मतलब रखता है..

दूसरों की बुराई करने में वो अपना कीमती वक़्त बरबाद नहीं करता..

समझदार इंसान न तो किसी की बुराई सुनता है और न ही किसी की बुराई करता है.
किसी की “तारीफ़” करने के लिए जिगर चाहिए….

“बुराई” तो बिना हुनर के किसी की भी की जा सकती है.

जिनके खुद के जीवन का कोई बड़ा लछ्य नहीं है,

वो रात दिन दूसरों की चुगली और बुराई करने में लगे हुए हैं.

जिन लोगों को अकसर दूसरों की बुराई करने की आदत होती है,

उनके अंदर आत्मविश्वास की बहुत कमी होती है.

वो जो करते हैं दूसरों की बुराई मेरे आगे, _

_ सगे वो मुझे किसी के नहीं लगते ..

लोग ” निंदा ” इसलिये नहीं करते कि ..उन्हें कुछ निंदनीय लगा,

_बल्कि इसलिये करते हैं कि ..वे निंदक होना उपलब्धि मानते हैं..!!

जीवन में जब तक व्यक्ति दूसरों में बुराई ढूंढेगा, वो खुश नहीं रह सकता.

जीवन भी एक यात्रा है, जिसमें सकारात्मक सोच जीवन को ख़ुशहाल बनाती है.

किसी की बुराई तलाश करने वाले इन्सान की मिसाल उस ” मक्खी ” सी है,

जो सारे खूबसूरत जिस्म को छोड़ कर केवल ज़ख्म पर ही बैठती है.

अपनी जुबान से किसी की बुराई मत करो, क्योंकि बुराइयाँ आपमें भी हैं और जुबान दूसरों के पास भी है.
बुराई कभी भी किसी कि भी मत करें, क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है, _  छेद छोटा हो या बड़ा नाव तो डुबो ही देता है.
यदि कोई आपके पास आके किसी और की बुराई करता है तो आप इस बात के लिए भी तैयार हो जाइये की वो किसी और के पास जाकर आपकी बुराई भी निसंदेह करेगा

और जिस चाव से आप किसी और की बुराई सुनते हैं उसी चाव से कोई और आपकी भी सुनेगा.

ध्यान से सुनें कि कोई व्यक्ति आप से अन्य लोगों के बारे में _ कैसे बात करता है ;

_ वो ठीक उसी तरह _ आप के बारे में दूसरे लोगों को बातें बताएगा..

जिन चार लोगों में बैठकर आप दूसरों की बुराई करते हैं,

यकीन मानिए आपके जाते ही वहां पर आपकी बुराई शुरू हो जाएगी.

यदि आप मेरे पास आकर किसी और की बुराई करते हैं,

तो मुझे कोई संदेह नहीं की आप दूसरों के पास जाकर मेरी बुराई करते होंगे.

बिना धैर्य के लोग किसी के लिए भी कुछ भी गलत और उल्टा-सीधा सोच लेते और बोल देते हैं.

_ और अब तो मुझे ऐसा लगने लगा है कि यह कोई महामारी है,
_ कि झट से लो और किसी के लिये कुछ भी बोल दो,
_ जमाना ऐसा है कि सब मुँह सोभली बातें करते हैं,
_ ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं,
_जो आपका सच्चे और खुले दिल से समर्थन करते हैं,
_ इसीलिए अपना औरा ही मजबूत ऱखना है..!!
कभी-कभी लोग आप को इसलिए बुरा बना देते हैं ..ताकि उन्होंने जो आप के साथ ग़लत किया ..उसे सही साबित कर सकें.!!
संभल कर किया करें गैरों से हमारी बुराई, _

_ आप जाकर जिसको जताते हैं, वो आकर हमें बताते हैं.

जो शख्स आपसे दूसरों की कमियाँ बयान करता है, _

_ वो दूसरों से निश्चित आपकी बुराई करता होगा.

जब आप बुराई के साथ जीने लग जाते हैं, _

_ तब आपको बुराई में बुराई दिखनी ही बंद हो जाती है.

अक्सर दूसरों की बुराइयां करने वाला खुद बुरा होता चला जाता है, समय के साथ उसका मस्तिष्क परिवर्तन होता है,

और वो दुनिया की हर चीज में कमियां निकालने लग जाता है ..

लोगों से ईर्ष्या करना और लोगों की बुराई करना छोड़ दीजिए,

यकीन मानिए उसके पश्चात आपके पास वक़्त की कमी नहीं होगी.

अच्छाई इसलिए हार जाती है बुराई से क्योंकि कि, बुरे लोग तुरंत संगठित हो जाते हैं,

और अच्छे लोग संगठित होते हैं, तब तक नुकसान हो चुका होता है.

बुराई को जड़ से ख़त्म नहीं किया जा सकता. लेकिन अगर हम सब अपने आप को अच्छा बनायें और नैतिक रूप से ऊपर उठें तो.. बुराई पर निश्चित रूप से काबू पाया जा सकता है.
अपनी किसी भी बुराई या कमजोरी के लिए हालात को दोषी मत ठहराइये.

बारिश की बूँदे सांप और सीप दोनों के मुँह में एक जैसी गिरती हैं,

लेकिन सांप उससे जहर बनाता है और सीप मोती. _ “हालात बस हालात हैं न अच्छे न बुरे”

शब्द- यात्रा करते हैं इसलिए पीठ पीछे भी किसी की निन्दा मत करो. मुख से निकले किसी की निन्दा के शब्द चलते- चलते संबंधित व्यक्ति के पास तक जरूर पहुंचते हैं और दुश्मनी कम होने के बजाए और बढ़ जाती है.

पीठ पीछे दुश्मन की तारीफ करना सीखो, तारीफ के शब्द एक दिन उस तक जरूर पहुंचेंगे और आधी दुश्मनी उसी समय खत्म हो जाएगी. याद रखें- संबोधन अच्छे हों तो संबंध भी अच्छे रहते हैं.

निंदा…बुराई करना……

यदि आप ऐसे लोगो के साथ बातचीत या व्यवहार कर रहे हैं जो दूसरों की निंदा या बुराई करने में तल्लीन हैं तो याद रखिये उनका अगला लक्ष्य आप हैं !

आप भी शीघ्र ही उनकी निंदा या उनके द्वारा आपकी बुराई करने की स्थिति को तैयार रहें, अतः ऐसे लोगों और स्थिति से दूर रहें !!!!

बतोलेबाजी से बचें. इस तरह के लोगों पर लोग भरोसा नहीं करते. अगर आपके आस पास भी ऐसे लोग हैं, तो उनसे दूर ही रहें.

जब कोई किसी की बुराई करे, तो तुरन्त उस जगह से हट जाएँ या उस व्यक्ति को रोकें — इधर की उधर करने वाला अंततः फंसता ही है.

हर व्यक्ति में कोई न कोई अवगुण होते हैं. दुनिया में शायद कोई ही ऐसा व्यक्ति हो जिसमे सभी गुण विद्यमान हों. हमेशा बुराईयों को नजरअन्दाज करें व अच्छाइयों पर ही ध्यान दें.

यदि कोई किसी की बुराई कर रहा हो तो उसमे शामिल न हों. न ही किसी की बुराई करें, न सुनें.

एक तो लोग खुद कोई अच्छा काम नहीं करेंगे और जब कोई दूसरा करता है तो उसमें बुराई ढूंढ़ना शुरू कर देंगे,

यदि आप खुद किसी के लिए कुछ अच्छा नहीं कर सकते तो आपको लोगों की अच्छाई में बुराई निकालने का कोई हक नहीं है.

संसार में हर वस्तु में अच्छे और बुरे दोनों पहलू होते हैं, जो व्यक्ति अच्छा पहलू देखते हैं वे अच्छाई

और जिन्हें केवल बुरा पहलू देखना आता है वे उसमे बुराई का संग्रह देखते हैं….

कुछ लोग अच्छी बातों में भी बुराई देखते हैं, वो इसलिए नहीं कि अच्छी बातों में बुराई होती है,

बल्कि इसलिए क्योंकि बुराई देखने वाला _ कभी अच्छाई को देखना ही नहीं चाहता है.

हर व्यक्ति यह समझ जाता है कि जिस तरह आप इन्सान के न होने पर उसकी बुराई कर सकते हैं ,

तो उनके न होने पर उसकी भी बुराई किसी और से कर सकते हैं.

किसी पर भरोसा कर उसके सामने तीसरे व्यक्ति कि बुराई न करें.

आपकी बात उस इंसान तक पहुंचेगी ही और आप बाद में शर्मिंदा भी होंगे.

पीठ पीछे बुराई करने वालों के बारे में ज़्यादा सोचने की जरुरत नहीं है .!

_ ऐसे लोग अपना जीवन सिर्फ़ दूसरों की बुराई करने में ही निकाल देते हैं ..!!

यदि आप सोचते हो कि पीठ- पीछे किसी की बुराई करने से लोग आपको भला मान लेंगे,

तो इसका मतलब है कि _ आप को लोगों का मिजाज समझ नहीं आया.

जब कमज़ोर लोग ताकत का आभास देना चाहते हैं तो..

_ वे बुराई करने की उनकी क्षमता का खतरनाक संकेत देते हैं.

इन्सान की अच्छाई की चर्चा में लोग खामोश हो जाते हैं,

पर जब चर्चा उसकी बुराई की होती है तो गूंगे भी बोल पड़ते हैं.

– “बुरे में अच्छा ढूंढो तो कोई बात बने..

अच्छे में बुराई ढूंढना तो दुनिया का रिवाज है.”

लोगों की बुराई करने वाले, छोटी सोच रखने वाले लोग बहुत बड़ी संख्य़ा में दुनिया में भरे पड़े हैं,

यदि आपको आगे बढ़ना है, तो सोच का दायरा बड़ा करें.

निन्दा-चुगली करने वाले खुद तो कुछ करते नहीं और दूसरों को भी फ़ालतू की बातों में उलझा कर उनका भी समय नष्ट करते हैं,

_ इसलिए ऐसे गप्पू लोगों से दूर रहें..!!
जब हमारे अच्छा करने पर भी सामने वाला हमारी निंदा करे तो हमें बुरा लगता है ; _ लेकिन बुरा महसूस करने के बजाए यदि हम यह समझ जाएं कि सामने वाला अपने व्यवहार के लिए स्वतंत्र है ;

मेरी उनसे अच्छे व्यवहार की अपेछा मुझे बुरा अनुभव करा रही है !!

इसलिए अपेछा रूपी बंधन को जितनी जल्दी तोड़ेंगे, उतना अच्छा महसूस होगा !!

ज़िन्दगी में “खुद” को कभी किसी इंसान का “आदी” मत बनाइए. क्यूँकि इंसान बहुत खुदगर्ज़ है.

जब आपको पसंद करता है तो आपकी “बुराई” भूल जाता है और जब आपसे नफरत करता है तो आपकी “अच्छाई” भूल जाता है.

ज्यादातर लोग जिसकी वे निंदा करते हैं, उनसे संबंधित होने के बजाय उस छवि [ image ] से संबंधित होते हैं _जो उनके दिमाग में उनके बारे में गपशप [ gossip ] से आई थी.

– यह बिल्कुल वास्तविक नहीं है _ और ये, एक ख़राब एहसास छोड़ता है.
“यदि आप किसी के बारे में कुछ अच्छा नहीं कह सकते तो अपना मुँह बंद रखें ;
_ यदि आपको किसी के बारे में कुछ कहना है, तो उनके सामने कहें
_ और यदि आप यह बात उनके सामने नहीं कहना चाहते, तो अपना मुँह बंद रखें”
— छोटे दिमाग वाले दूसरों के बारे में बात करते हैं, _जो लोग खुद से नाखुश होते हैं _ उन्हें गपशप [ gossip ] में आनंद मिलता है;
– कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि _ अगर गपशप नहीं होती तो _ क्या वहां कोई बातचीत होती..
_यदि हम सभी यह मूल्यांकन [ Evaluation ] कर सकें कि _ हमने कैसे बात की _या अपना समय बिताया, तो चीजें बेहतर होतीं..
_ यदि वे भटक भी गए हों, तो प्रार्थना करें कि उन्हें मार्ग मिल जाए; _ वे भी हमारे जैसे ही इंसान हैं.
– मुझे दुख होता है कि दुनिया कितनी निंदक [ Cynic ] हो गई है.
– मुझे कहावत पसंद है. मुझे गपशप [ gossip ] पसंद नहीं है, फिर भी मेरा मानना ​​है कि ज्यादातर लोग इसे सुनना पसंद करते हैं और यही कारण है कि गपशप अभी भी मजबूत है.
मैं गपशप [ gossip ] करने वाले लोगों से दूर रहता हूं. _इसका मेरे जीवन के लिए कोई मूल्य नहीं है,
_और मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि वे दूसरों के साथ ऐसा कर सकते हैं _तो वे आपके साथ भी ऐसा कर सकते हैं.
– स्वस्थ जीवन जीने की कोशिश करना थोड़ा मुश्किल है ; _ क्योंकि जैसे ही लोगों को पता चलता है कि आप गपशप नहीं करते हैं ;
– वे आपसे दूर रहने लगते हैं. — “जिंदगी कैसी अजीब है.”
— मुझे लगता है जैसे-जैसे हम सरल, अधिक सार्थक जीवन की ओर बढ़ते हैं,
_ दूसरों के बारे में सस्ती बातें _कम और कम _आकर्षक होती जाती हैं.
— चुगली- निंदा रस में रस लेने वालों के लिए यह सुझाव है कि _चुगली- निंदा में रस लेना मानव व्यवहार के अनुरूप नहीं है.
_काना-फूसी का काम घटिया लोग करते हैं _इसलिए इससे बचें और आलोचना करने के लिए सकारात्मक तरीका अपनाएं.
– अक्सर हम निंदा को दिलचस्पी से सुनते हैं तो, हम सुनाने वाले को बढ़ावा देते हैं ; _ सुनाने वाले से ज़्यादा ज़िम्मेवारी सुनने वाले की होती है ; सुनने वाले सुनना बंद कर दें तो, सुनाने वाले किसको सुनायेंगे ? – वातावरण को दूषित होने से बचाएं –
बुरे लोगो से कैसे बचे ?

1) उनसे दुर रहो : (Stay away from them):

बुरे लोगो से घबराकर दूर नहीं बल्कि आपका दिमाग शांत रहे और ऐसे फालतू लोगों की वजह से आपको कोई टेंशन या कोई तकलीफ ना हो _ इसलिए ऐसे लोगों से दुरी बनाये रखें.

जो लोग आपको आसानी से छोड़ सकते हैं, वे वास्तव में आपके लिए कभी बने ही नहीं थे ; _उन्हें जाने दो.

उनके शब्दों पर नहीं, भावनाओं [ Vibes ] पर भरोसा करिए ; लोग आपको कुछ भी बता सकते हैं, लेकिन उनकी एक भावना [ Vibe ] आपको सब कुछ बता देती है..!!

2) उन्हें अपनी कोई भी बात ना बताएं : (Don’t tell them anything about you) बुरे लोगो से अपनी घर की बातें या आपकी कोई भी पर्सनल बातें नहीं बतानी है, _ क्योंकि ऐसे लोग भरोसे के लायक नहीं होते ; ऐसे लोग आपकी बातों को जानकार आपकी कमजोरियों का फायदा उठा सकते हैं और आपको धोखा दे सकते हैं.

3) उनकी चालाकी को समझें :(Understand their tricks)

जब कभी ऐसे लोग आपसे बहुत अच्छी और मीठी बातें करे तो समझ जाना की दाल में कुछ काला है, _जब भी वो बहुत अच्छे से पेश आते हैं तब समझ जाना की या तो वो आपसे कोई काम निकालवाने की कोशिश कर रहे हैं या फिर आपको किसी परिस्थिति में फसा रहे हैं _तो ऐसे में आप उनसे तुरंत सावधान हो जाएं और उनकी बातों में न आएं.

4) उन्हें ज्यादा महत्व न दें : (Don’t give them too much importance) वो आपके सामने दिखावा करेंगे, उनके लाइफ में ज़रा कुछ अच्छा हो जाए तो बढ़ा चढ़कर बताएँगे और आपको जान बूझकर नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे __ तो ऐसे में आपको उनको और उनकी बातों को ज्यादा महत्व नहीं देना है.

5) उनसे बहस मत करो : (Don’t argue with them)

जब भी कोई ऐसी बात हो _जिसको लेकर वो आपसे बहस करने लगें तो ऐसी परिस्थिति में पहले आप ये देखो की जिस बात को लेकर वो आपसे बहस कर रहे हैं _ वो बात आपके लिए कितनी महत्व रखती है.

अगर वो बात आपके लिए ज्यादा महत्व नहीं रखती तो _ आप उन बुरे लोगों से बहस करके अपना दिमाग और समय बर्बाद ना करें _ क्योंकि ऐसे लोग दूसरों की नहीं सुनते और बस खुद की ही बात को सही मानते हैं.

6) उनसे किसी भी तरह का लेन देन ना करें : आपको बुरे लोगों से किसी भी तरह का लेन देन या किसी भी तरह का व्यवहार नहीं करना है _ क्योंकि ऐसे लोग खुद का फायदा देख के आपसे किसी भी चीज़ का सौदा करते हैं और बाद में आपको धोखा देते हैं.

7) उन्हें बेवकूफ बनाकर रखो : (Keep them stupid)

जब भी वो आपसे बात करें तो आप उन्हें ज्यादा महत्व देने का दिखावा करो और वो आपसे कुछ भी बढ़ा चढ़ाकर बातें करे तो _ आप उनकी झूठी तारीफ करिए..

_ ऐसा करने से वो आपसे प्रभावित हो जाएंगे और आपको उनकी असली औकात पता होनी चाहिए.

8) कार्रवाई करें (Take action): अगर उनकी बदतमीजी हद से ज्यादा बढ़ जाए और वो आपका किसी भी तरह का कोई नुकसान करें तो _ ऐसे में आप चुप ना रहें और उसको मुँह तोड़ जवाब दें _ क्योंकि ऐसे लोगों को सबक सीखाना बहुत ज़रूरी है,

अगर हम चुप रह कर उन्हें सहते रहेंगे तो वो आपको कमजोर समझकर और ज्यादा दबाने की कोशिश करेंगे.

” पर-निंदा में जो परमानंद है”

_ यह वही जानता है ..जो निरन्तर इसका अभ्यास करता रहता हो.
_ सुस्ती आ रही है ? मन कुछ उदास सा है ?
_ किसी भी परिचित की निंदा करना शुरू कर दो..
_ और देखो सुस्ती कैसे उड़न छू हो जाती है ..और शरीर स्फूर्ति से भर उठता है.
_ जिसके भी भाग्य से आप ईर्ष्या करते हैं ..बस उसकी निंदा में लग जाओ..
_ और जी भर कर उसकी निंदा ..आपके मनोबल को ऊँचे और ऊँचे उठा देगी.
_ हम कितने ‘उच्च हैं’ ऐसा महसूस होते ही सारी निराशा भाग जायेगी.
_ दूसरे कि ख़ुशी, दूसरे कि सफलता देखी नहीं जाती,
_ हम खुद वह काम कर नहीं सकते तो क्या करें..
_ ईर्ष्या कर के, निंदा कर के अपने गम गलत कर लेते हैँ..
_ तो ईर्ष्या-द्वेष भाव से भी निंदा होती है,
_ फिर निंदा करके जो अहं को तुष्टि मिलती है ..वह किसी अमृत से कम नहीं.
_ इसीलिए यह कुछ लोगो के लिए ..यह टॉनिक का या दवा का काम भी करती है.
_ सुबह आँख खुलने से लेकर रात को सोने तक बस यही करते हैं वह.
_ तभी तो इतने संतुष्ट रहते हैं.
_ऐसी आत्म तुष्टि शायद ही किसी अन्य काम से संभव हो.
_ मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जब कोई व्यक्ति किसी अनुपस्थित की निंदा करता है तो..
_ उसका मुख्य कारण बोलनेवाले की ईर्ष्या होती है ..बजाय अगले के वास्तविक दोषों के..!!
_ वह स्वयं को उसके स्थान पर देखना चाहता है ..परन्तु यह संभव नहीं.
_ अतः निंदा कर के उसका क़द छोटा करने की नाकाम कोशिश करता है.
_ इससे उसके अहम् को तुष्टि मिलती है.
_ चूँकि निंदा ईर्ष्यावश की जाती है, अतः ऐसे लोग परनिंदा के संग आत्मप्रशंसा करना नहीं भूलते..
_ जैसे -“मैं तो भई…”
_ सत्य तो यह है कि खुद को बेहतर साबित करने के चक्कर में किसी और की कितनी भी निंदा करें, इसमें उसका कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं,
“निंदा की महिमा अपरम्पार है”

_ निंदा में जो रस मिलता है, वह किसी भी चीज में भी नहीं मिलता,
_ निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, अन्यत्र दुर्लभ है.
_ इसलिए संतों ने सलाह दी है उनसे सीखने की..
_ निंदकों को ‘आंगन कुटी छवाय’ पास रखने की सलाह दी है.
_ बेहद पारखी नज़र होती है निंदक की, जिस कमी के बारे में आपको खुद जानकारी नहीं होगी, निंदक उसको खोज निकलेगा.
_ इसीलिए जब एक व्यक्ति ने कबीर से कहा महाराज ..मैं अपनी कमियों को जानना चाहता हूँ,
कबीर ने उसे सलाह दी ” निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छबाय” बस तभी से शादी की प्रथा शुरू हुई.
_ दूसरे कि ख़ुशी, दूसरे कि सफलता इनसे देखी नहीं जाती,
_ खुद वह काम कर नहीं सकते तो क्या करें ईर्ष्या करके, निंदा करके अपने गम कम कर लेते हैं.!!
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