जब मन पर न सुख हावी है, न दुख हावी है, तब मन का जो निर्बोझ होना है, जो ख़ालीपन है, “उसे ‘ आनंद ‘ कहते हैं”.
आनंद का सिद्धांत यह है कि, जब आप वह सब कुछ कर लेते हैं जो आप कर सकते हैं, और आपने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर लिया है और अपना सब कुछ दे दिया है,
_ तो आपको इसे उस पर छोड़ देना है जिसे आप रब कहते हैं.
_एकांत, मौन और शांति के अपने-अपने गुण हैं.!!
_ “जो आनंद में है, वह किसी का नहीं, सबका है.”
” जो न आता कभी और जो न कभी जाता है, उसका नाम ही आनंद है ” जो हमारा स्वभाव है, स्वरूप है. और जो व्यक्ति भी इस भीतर के स्वरूप में थिर हो जाता है, आनंद को उपलब्ध हो जाता है, स्वयं में स्थित हो जाता है.
_ आप तो आनंद में रहिए, ‘यही है आनंद’
_ बाकी जिसकी किस्मत में आनंद नहीं, उसके लिए आप क्या कर सकते हैं ?
_ बाकी कोई गुस्सा हो, दुखी हो तो ये उसके मन के कारक हैं.
_ उसके मन के कारक के लिए आप कहां जिम्मेदार ?
_ आप तो अपने जीवन को हमेशा कलरफुल रखिए.. “रंगीन”
_रब ने इसे हमारे चारों ओर रखा है… और हमें बस उस तक पहुंचना है.
जब आप यह देख सकते हैं, तो आप ऐसे लोगों से मिलना शुरू करते हैं जो आपके आनंद के क्षेत्र में हैं, और वे आपके लिए द्वार खोलते हैं.
अपने आनंद का पालन करें और डरो मत, और दरवाजे खुल जाएंगे जहां आप नहीं जानते थे कि वे होने जा रहे हैं. यदि आप अपने आनंद का अनुसरण करते हैं, तो आपके लिए ऐसे द्वार खुल जाएंगे जो किसी और के लिए नहीं खुले होंगे.
_ अस्तित्व और ज्ञान में खुश रहें, यह खुशी से परे है, यही आनंद है.
_जिसे कोई भी सुख दुःख नहीं दे सकता, वही व्यक्ति आनंद में स्थापित हो जात्ता है.
अगर आप उस काम से प्यार करते हैं जो आप कर रहे हैं, अगर आप अपने जीने के तरीके से प्यार करते हैं, तो आप स्वाभाविक रूप से ध्यान की अवस्था में हैं ;
प्रकृति ने आपके जीवन को एक उत्सव के रूप में डिजाइन किया है !! लेकिन _ जब आप दुखी होते हैं, तो आप *दुख को चारों ओर फेंक कर ब्रह्मांड को प्रदूषित करते हैं..!!
कोई वजह नहीं है तब भी मुस्कुरा रहे हैं, _ कोई कारण नहीं रहता लेकिन फिर भी मूड अच्छा अच्छा सा रहता है.
किसी ने हमें कुछ दे नहीं दिया, फिर भी मन में बड़ा अनुग्रह है, _ ग्रेटीटयूड की भावना है,
पता नहीं किसको मन करता रहता है धन्यवाद देने का – कि तूने इतना कुछ दे दिया..
_ ” आनंद ” अल्प समय के लिए और ” संतुष्टि ” जीवन भर के लिए आनंद देती है.
_ और एक दिन आनंद में बीता तो एक दिन आपने कमा लिया है, यह ध्यान में रखें..*
“Find a place inside where there’s joy, and the joy will burn out the pain.”
मनुष्य होने का आनंद सृजनात्मकता में मिलता है, उपभोग में नहीं.!!
The joy of being human is found in creativity, not consumption.
Humans are okay to live with known pain but run away from unknown joy.
– आनंद और ख़ुशी में भेद कर पाने का विवेक पैदा करो — “
_ आनंद तो पूर्णतः व्यक्तिगत अनुभूति है, “
_ जो आनंद की तरफ जाता है _ वह सुख पाता है..
_ हममें से बहुतों में ऐसा करने की हिम्मत या इच्छाशक्ति नहीं है..
_ जब आपकी योजनाएँ परिपक्व होंगी, तब भी आप किसी और भविष्य के लिए जी रहे होंगे !!!
सुफ़लता वो है _ जिसमें आप आनंदित होते है _ भले दुनिया को दिखे या न दिखे ;
लेकिन प्रफुल्लता वो है _ जिसमें आप का आनंद अंदर और बाहर दोनो तरफ़ बहता है.
_ बल्कि आनंद है _ जो दुःख को दुःख और ख़ुशी की तरह देख सके और उसके निदान का प्रयास करे.
_ और एक ऐसा कौशल _ जिसके लिए हमारे पास बहुत कम प्रतिभा या ऊर्जा है”
_ एक अच्छे जीवन को आत्म-संतोषजनक और आत्म-संतुष्ट करने वाला के रूप में वर्णित किया जा सकता है.!!
_क्योंकि शांति के माहौल में ही सच्चा आनंद मिलता है..!!
_ जो हर परिस्थति में आनंद से झूमता रहे !!
_ तो जो पास है उसमें आनंद लेना सीख लो..!!
“अपने आनंद का पालन करें और ब्रह्मांड आपके लिए दरवाजे खोल देगा जहां केवल दीवारें थीं”
मैं आपके सबसे आंतरिक अस्तित्व के आनंद के संपर्क में रहने की सलाह देता हूं ; _खुशी बहुत बड़ी है और मैं इसका आनंद ऐसे लेता हूं जैसे मैं ग्रेवी का आनंद लेता हूं, लेकिन मैं इस पर निर्भर नहीं हूं.
_उन चीज़ों के मालिक होने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है.
_इस पर विचार करने के लिए एक क्षण लें _कि आपके जीवन में वास्तव में क्या आवश्यक है;
_यह शुरू करने लायक यात्रा है.
_ हमारे जीवन में जो मूल्यवान है _उस पर हमें नज़र रखने की ज़रूरत है ;
_और, आपकी आपत्तियों के दूसरी ओर, उद्देश्य और आनंद से भरा जीवन निहित है.
_एक बार जब आप उस चीज़ के लिए जगह बना लेते हैं _जो वास्तव में मायने रखती है,
_तो आपका जीवन आनंदमय रहेगा.!!
हम सभी इस दुनिया में इधर-उधर खुशियां ढूंढ रहे हैं, लेकिन हमें यह महसूस करना चाहिए कि खुद से और खुद के लिए खुश रहना ही खुशी की कुंजी है ; _ आप ही एकमात्र व्यक्ति हैं जो खुद को खुश कर सकते हैं, हमेशा याद रखें कि आपके लिए कोई नहीं है, हर कोई अपनी समस्याओं से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है, इस व्यस्त दुनिया में कोई भी स्वतंत्र नहीं है.
अगर आपको लगता है कि कोई आएगा और आपको खुश करेगा, तो इसका मतलब है कि आप खुद से झूठ बोल रहे हैं, _ क्योंकि यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने लिए काम करें, किसी और की नहीं ; _ इसलिए हमेशा अपने भीतर खुशी की तलाश करें.
_ यह एक प्रकार की समाधि है, जो आपको भावों में रचने-बसने से नहीं रोकती..
_ लेकिन जहाँ भाव उलझने लगें, बस वहीं रुक जाना है.
_ बहुत बार सुना हुआ यह सत्य ही सत्य है कि सुख और आनंद कहीं बाहर नहीं, अपने ही भीतर है.!!
“एक व्यक्ति जो अभी का आनंद लेता है _उसे खुशी के लिए यादों से चिपके रहने की जरूरत नहीं है”
_मैं दुख के साये में भी मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ रहा हूं..!!
अनहद में है विश्राम तुम्हारा, बस इतना रखना याद ;
यह जीवन है एक सराय, नहीं करना रुकने की बात ;
मृत्यु जीवन से अलग नहीं, ये है जीवन का भाग ;
बंधो न तुम, न बांधो किसी को, बस इतना सा तुम कर लो ;
हर पीड़ा को हर लूंगा मैं, तुम मुझको अपना कर लो.
_ क्योंकि यदि आप आनंदित नहीं हैं तो आप रचनात्मक नहीं हो सकते.
_ और खुशी को हमने मार रखा है क्योंकि
_ ख़ुशी [ Joy ] और आज़ादी [ freedom ] का बड़ा गहरा अर्थ होता है.
_ रचनात्मकता तो आनंदमय होनी चाहिए और आनंदमय होना है तो स्वतंत्र रहना..!!
जीवन प्रकाशमय, आनंदमय और नृत्यमय क्षणों से भरा है.
Life is not a very serious thing.
Life is full of light, joyous and dancing moments.
_ लेकिन पूरी यात्रा के दौरान एक बात हमेशा खटकती रहती है कि जिस आनंद के लिए इतनी तकलीफें उठाई, वही आनंद घर पर भी अधिक सुगमता से पाया जा सकता था.
पहाड़ पर मन घर की सोचता है और घर पर पहाड़ की, __ आनंद न दृश्य में है और न ही दर्शक में वरन दृष्टा भाव में ही शाश्वत आनंद है.
_ आनंद लेने और सराहना करने के लिए हमेशा कुछ न कुछ होता है,
_ मैं उन चीजों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं जो सही और अच्छी हैं _ न कि _ उन चीजों पर _ जो मुझे परेशान करने वाली या अप्रिय लगती हैं.
जिंदगी में अक्सर हम कुछ लोगों को इतना करीबी मान लेते हैं _ जैसे उनके बिना जिंदगी संभव नहीं ;_ लेकिन वक्त और जीवन का फलसफा कुछ और ही है मेरे यार !
कब कहां किस मोड़ पर जिंदगी बदल जाए, हाथों से हाथ छूट जाए, लोगों का पलायन हो जाए,
जो सोच न सके कि कभी ऐसा हो जाता है.. यही है ज़िन्दगी और उसकी रीत,और जीवन के रंगमंच में कठपुतली सा दिल और उसकी संजीदगी !
_ जब हम अच्छा सोचते हैं तो हमें अच्छा महसूस होता है.
_ समझ एक प्रकार से आनंदायक है.
_ हंसी मज़ाक, तंज़ कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए..!!
_ समझदारी यही कहती है, कि बस चुप रहिए..!!
_ जिसको जिससे उलझना है उलझे, ये आपका मसला कतई नहीं है,
_ क्योंकि जो आपका मसला था वो भी अब आपका नहीं रहा..!!
_ अपने काम से काम रखें और आनंद में रहें..!!
ऐसा ही कुछ संसार है जब तक परमात्मा का साथ है सभी वस्तुओं के साथ भी आनंद है,
_ लेकिन जिनसे परमात्मा बिछड़ जाता है उनको फिर कोई भी खिलौना आनंद नही देता _फिर चाहे तुम कितने भी खिलौने इकट्ठे कर लो..!!
_दुनिया और जीवन को आनंदमय बना देता है..
इसे महसूस करने के लिए बहुत गहराई तक जाने या कुछ हासिल करने की ज़रूरत नहीं है.
समझें कि आप क्या हैं !!
यह अनुभव किसी और से प्राप्त करना आवश्यक नहीं है !
लकी होते हैं _वो लोग _जो समय के साथ तालमेल बना कर _ आनंदमय जीवन जीते हैं..!!
_आनंद अकेले या साथ की बात नहीं है, जैसी भी स्थिति हो, उसमें मगन रहने का संकल्प है.
_इस पर विचार करने के लिए एक क्षण लें _कि आपके जीवन में वास्तव में क्या आवश्यक है;
_यह शुरू करने लायक यात्रा है. हमारे जीवन में जो मूल्यवान है _उस पर हमें नज़र रखने की ज़रूरत है ;
_और, आपकी आपत्तियों के दूसरी ओर, उद्देश्य और आनंद से भरा जीवन निहित है.
_एक बार जब आप उस चीज़ के लिए जगह बना लेते हैं _जो वास्तव में मायने रखती है,
_तो आपका जीवन आनंदमय रहेगा.!!
_रेल कि पटरियों के बीच में कुछ-कुछ अंतर रखा जाता है, कि गर्मियों में यह फैलेंगी तो टेढ़ी-मेढ़ी ना हो जाए.
Don’t wait for everything to be perfect before you decide to enjoy your life.
The time you enjoy wasting is not wasted time. – Bertrand Russell