जब चारों ओर अंधेरा हो, ज्ञान का दीप जला लेना,
जब गमों ने तुमको घेरा हो, तुम हाल *मुरशद* को सुना देना,
जब दुनियाँ तुम से मुँह मोड़े , तुम अपने *मुरशद* को मना लेना,
जब अपने तुमको ठुकरा दे , *मुरशद* के दर को तुम अपना लेना,
जब कोई तुम को रूलाये तो, तुम *मुरशद* के गीत गुनगुना लेना,
*मुरशद* करूणा का सागर है , तुम उसमें डुबकी लगा लेना ,,,,?
आ गया समय जाने का, दुनिया को लुभाने का,
जाने अब कब झूमेंगे मस्ती में,
फिर कब घूमेंगे ज्ञान की कश्ती में,
काश थोड़ा समय और मिल पाता,
थोड़ा और नाचता और गाता.
खुदा मिले या न मिले, पर मेरे मुरशद का साथ मिल गया.
खुदा तो नहीं मिला इन तीन दिनों में,
पर खुदा रूपी मुरशद जरूर मिल गया.
अधूरा हूँ मैं जिसके बिन, उस मुरशद से अब दिल लग गया.
बस अपना प्यार बरसाना, मन में ज्ञान का दीप जलाना.
आए कोई कठिनाई का समय, बस सही राह दिखाना.
अब आपके दिखाए रास्ते पर चलेंगे, थोड़ा गिरेंगे और संभलेंगे.
बस आप ज्ञान रूपी अमृत पिला दो, और मेरी नैया उस पार लगा दो.