सम्पत्ति का बँटवारा करते- करते लोग स्वयं बँट जाते हैं. लोगों को इतना भी ध्यान नहीं रहता कि जायदाद को तो बनाया जा सकता है, लेकिन माँ- बाप, भाई- बहन बनाए नहीं जा सकते. रिश्तों को पाने के लिए जायदाद खो जाए तो कोई बात नहीं, लेकिन जायदाद पाने के लिए रिश्तों को खोना मूर्खतापूर्ण है.