सोचने वाली बात है कि हम दूसरों के साथ जो बुरा व्यवहार करते हैं, लेकिन अगर वैसा ही व्यवहार कोई हमारे साथ करे, तो हम आगबबूला हो उठते हैं, ऎसा क्यों ? जब भी आप किसी के साथ कोई बुरा बरताव करें, दो मिनट रुक कर खुद से पूछें कि, अगर कोई मेरे साथ ऐसा बरताव करे, तो मुझे कैसा लगेगा.
अपने नेक इरादों को जाहिर करने वाले शब्दों में चिड़चिड़ाहट व गुस्से को शामिल न होने दें. हर बात को दो तरीके से समझाया जा सकता है, एक चिल्ला कर और दूसरा शान्त भाव से. चिल्लायेंगे तो सामने वाला आपकी बात कभी नहीं समझेगा.