अब तक जाना गया है – अपने आप को दुखी बनाए रखें या प्रसन्न रहें, यह आप के ही हाथ में है. आपकी प्रसन्नता जब तक बाहरी दुनिया के हाथों में होगी, आप दुखी ही रहेंगे. बाहर जो घटता है वह निरन्तर बदल रहा है. कभी आप के अनुकूल घटता है, तो कभी आप के प्रतिकूल, कभी आप खुश हो जाते हैं तो कभी दुखी. हर घटना आप की अपेछा के अनुसार नहीं घटती, उसे जैसे घटना था वैसे ही घटता है – इसलिए आप को हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा.