झूठा सिक्का पहचान लिया जाता है और दोबारा भट्टी में चढ़ा लिया जाता है. जबकि सच्चा सिक्का अपने पूरे मूल्य की प्रतिष्ठा पा कर, सभी लोगों में विनिमय का साधन बनता है. ठीक इसी प्रकार झूठा शब्द, कर्म या चरित्र पहचान लिया जाता है और वह अधोगति को प्राप्त होता है.