सुविचार 3992

कर्म का उद्देश्य जीवन को अभिव्यक्त करना है. यदि जीवन प्राकृतिक रूप से और बिना किसी को हानि पहुँचाए अभिव्यक्त होता है तो इसमें न तो कोई पाप है और न ही कोई पुण्य.

कई कर्म स्वाभाविक रूप से होते हैं लेकिन बाद में पता चलता है कि वे गलत थे.

_ स्वाभाविक रूप से मन में गलत कर्मों का अपराधबोध भी बना रहता है.

_ जो हो गया उसे मिटाया तो नहीं जा सकता लेकिन इंसान को हर दिन अपराध बोध की आग में जलने को मजबूर होना पड़ता है.

सुविचार 3991

जब तक ह्रदय शुद्ध और सरल रहेगा, हमेशा सही जवाब देगा.

एक खूबसूरत ह्रदय कभी भी झूठ नहीं उकेर सकता..!!

सुविचार 3990

यह संसार सम्भावनाओं से भरा हुआ है. यहाँ सम्भव घटना के घटने की तो पूरी सम्भावना है ही, _ सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि यहाँ असम्भव लगने वाली घटना के भी घट जाने की पूरी सम्भावना है.

सम्भव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका है..

_ असम्भव से भी आगे निकल जाना…
जीवन अनंत संभावनाओं की बहती नदी की तरह है,
_ यह हम पर निर्भर करता है कि हम बाल्टी लेकर खड़े हैं या चम्मच लेकर.!!!
घटनाओं का वास्तविक विश्लेषण वही कर सकते हैं, जिनके साथ घटना घटित हुई है,
_ बाक़ी लोग सिर्फ क़यास ही लगा सकते हैं, ‘जो सही हो न हो’ निश्चित नहीं कहा जा सकता…!

सुविचार 3989

” हँसते रहो ” इसलिए नहीं की आपके पास हँसने का कारण है,

_इसलिए क्योंकि दुनिया को रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता, आपके आँसुओं से..

सुविचार 3988

चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार करें, और फिर देखें कि कैसी खूबसूरती उभरती है.

सुविचार 3987

मन उदास हो तो एक काम किया करो, _ भीड़ से हटकर ख़ुद को थोड़ा वक़्त दिया करो..

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