सुविचार 4369
नेत्र हमें केवल दृष्टि प्रदान करते हैं, परंतु हम कब- किसमें क्या देखते हैं,
_ ये हमारी भावनाओं पर निर्भर करता है.
जिन विचारों को कुछ लोग बिना पसंद किए छोड़ देते हैं,
_ वो जाने कितनों की ही भावनाएं होती हैं..!!
_ ये हमारी भावनाओं पर निर्भर करता है.
_ वो जाने कितनों की ही भावनाएं होती हैं..!!
लेकिन जब कोई अपनों से धोखा खाता है तो मौन हो जाता है..
उसकी नजरों में आपका कोई महत्व ही नहीं है.
समझ लें हमारा खानदान बरबाद हो चुका है.
यहाँ हर चीज़ सिर्फ और सिर्फ अपनी-जैसी पैदा होती है, “
फिर मन से दोस्ती की और जीत गया..