सुविचार 3527
कभी – कभी मनुष्य स्वयं ही अपने कार्यों पर चकित हो जाता है कि यह कार्य मैंने कैसे किया, _ जो मेरे वश में नहीं था.
कभी – कभी मनुष्य स्वयं ही अपने कार्यों पर चकित हो जाता है कि यह कार्य मैंने कैसे किया, _ जो मेरे वश में नहीं था.





