सुविचार 3527

कभी – कभी मनुष्य स्वयं ही अपने कार्यों पर चकित हो जाता है कि यह कार्य मैंने कैसे किया, _ जो मेरे वश में नहीं था.

सुविचार 3526

कोई वकालत नहीं चलती जमीन वालों की, जब कोई फैसला आसमान से उतरता है.

सुविचार 3525

मनुष्य के पास सब से बड़ी पूंजी “सुविचार” हैं, _ क्योंकि धन और बल किसी को भी ग़लत राह पर ले जा सकते हैं ;

_ किन्तु सुविचार सदैव अच्छे कार्यों के लिए ही प्रेरित करेंगे..

सुविचार 3524

” मैं देख रहा हूं,,,,,लोग अपनी हक़ीक़त जानने से डर रहे हैं,

_ शाख कह रही है कि मेरा जड़ से लेना-देना नहीं,”

सुविचार 3522

अपने अस्तित्व के उद्देश्य पर सवाल न उठाएँ – उसे खोजने और उसे पूरा करने का प्रयास करें.

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