सुविचार 3462

हमेशा याद रखो कि चाहे आप के पास कितनी भी मुश्किलें हैं,

लेकिन कोई है जिसके पास आपसे ज्यादा मुश्किलें हैं ..

सुविचार 3460

जैसे- जैसे हम विकसित होते जाते हैं, वैसे- वैसे हमारी चेतना अपने सम्पूर्ण दायरे में विस्तारित होते हुए, _ हमारी मानवीय छमता की व्यापकता को प्रकट करती है.

सुविचार 3459

” तुम्हारी जमीन के हिसाब से हो न हो,

मैं शब्द नहीं, सत्य का बीज बिखेरता हूं,

यही मेरी झोली में है.

सुविचार 3457

अपने भीतर और अपने काम, दोनों में पूर्णता हासिल करने के लिए हमें खुद से लगातार पूछते रहना चाहिए,

“मैं खुद को और कितना बदल सकता हूँ ताकि मेरा काम अधिक प्रभावी हो जाए ?”

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