सुविचार 4225
दिन ब दिन गिर रहा है ” इन्सानियत ” का स्तर… और इन्सान का दावा है कि हम तरक्की पर हैं..!!
तरक्की व्यस्तता पर नहीं, बल्कि व्यवस्थित काम पर निर्भर करती है !!
आपकी तरक्की और उन्नति से जलेंगे, वो आपको कई मिलेंगे.!!
और इन सब के परे हम उसी बात के दूसरे पहलू को सोच ही नही सकते..जबकि ये भी सत्य है कि..हर बात के दो पहलू होते जरूर हैं ।।
या तो मुझे कोई रास्ता मिल जायेगा या मैं बना लूंगा..
न रूठने का डर, न मनाने की कोशिश, दिल से उतरे हुए लोगों से शिकायत कैसी…
सफलता की कोई तारीख नही होती..
_ राहें मुश्किल हो जाए तो भी छोड़ी थोड़े न जाती है..!!
_ रुक जाना नहीं तू कहीं हार के, काँटों पे चल के मिलेंगे ..साए बहार के..!!
_ न लो इंतकाम मुझसे मेरे साथ चल चल के..!!