सुविचार 4364
मन से जब-जब लड़ता रहा, ” हारता रहा “
फिर मन से दोस्ती की और जीत गया..
फिर मन से दोस्ती की और जीत गया..
_ उसने बोल : ऐसा सुना था होती थी कीमत ज़ुबान की.!!
_ शब्द आपके रिश्ते, करियर और इज़्ज़त सब बना भी सकते हैं, तोड़ भी सकते हैं.!!
_ और उसका एक ही परम मंत्र है, प्रयास प्राप्ति तक, और विधि है, परिपूर्ण प्रकिया,”