सुविचार 4227
बन सहारा बे सहारों के लिए, बन किनारा बे किनारों के लिए.
जो जिए अपने लिए तो क्या जिए, जी सको तो जिओ हजारों के लिए.
जो जिए अपने लिए तो क्या जिए, जी सको तो जिओ हजारों के लिए.
कर्मवीर को फर्क नहीं पड़ता किसी जीत या हार का..
_ “पतन’ इतना हुआ की पास बैठे इंसान का दुःख-दर्द, तकलीफ तक दिखाई नहीं देता है.!!
और इन सब के परे हम उसी बात के दूसरे पहलू को सोच ही नही सकते..जबकि ये भी सत्य है कि..हर बात के दो पहलू होते जरूर हैं ।।
न रूठने का डर, न मनाने की कोशिश, दिल से उतरे हुए लोगों से शिकायत कैसी…