सुविचार 4302

” विकृत मनोदशा,” दुखों का सबसे बड़ा कारण है
सुख दुख की अनुभूति केवल और केवल, आपकी ही ” मनोदशा ” की देन होती है.
वाकई दुनिया में बहुत दुख है !

_ हमारे आस-पास बहुत कुछ ऐसा घटित हो रहा है.. जिसे हम कभी जान ही नहीं पाते !
सच पूछिए तो उन्हें भी बेहद दुख-कष्ट हैं,

_ जो सबसे कह रहे हैं कि हम ठीक हैं..!!

सुविचार 4301

निर्बल मन ….

निर्बल व खाली मन कभी भी समर्थ संकल्प उत्पन्न नहीं कर सकता !! संकल्पवान बनें, विचारो में स्थिरता और दृढ़ता पैदा करें, मन को अभ्यास द्वारा नियंत्रित करें, अच्छे विचार रखें, इससे आपकी आत्मिक शक्ति का विकास होगा ! याद रखें मन के हारे हार है मन के जीते जीत !!!

संकल्प लेना अपने आप में एक सशक्त कार्य है; इसमें किसी अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता नहीं है.

_ किसी संकल्प पर टिके रहने के लिए प्रयास करना पड़ता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आपने उस संकल्प के लिए खुद को कितना तैयार किया है.

सुविचार 4300

खुद को कभी कमजोर मत होने दीजिए, क्योंकि डूबते सूरज को देख कर लोग घरों के दरवाजे बंद करने लगते हैं..

सुविचार 4298

ज़िन्दगी का दूसरा नाम मुश्किलात है

_ हर इंसान किसी न किसी मुश्किलात में मुब्तिला है
_ बस किसी को कम है तो किसी को ज्यादा
_ हर इंसान को लगता है कि उससे ज्यादा मुश्किल में कोई नहीं
_ लेकिन कोई यह नहीं जान पाता कि
_ सामने वाला इंसान कितनी मुश्किल में है
_ लेकिन हम तय जरूर कर लेते हैं बाहरी आवरण से कि
_ इसके पास तो सब कुछ है, अच्छे कपड़े पहनता है,
_ अपना घर है, हमेशा मुस्कुराता भी रहता है
_ फिर इसे क्या दिक्कत होगी
_ अक्सर जो इंसान अपनी परेशानियां बता देता है
_ वही सबसे मासूम व मजलूम दिखता है
_ लेकिन बेश्तर लोग अपनी परेशानियों को साझा नहीं करते
_ क्योंकि वो समझते हैं कि ये ज़िन्दगी का हिस्सा है
_ आज है लेकिन जरूरी तो नहीं कि कल भी है
_ मतलब कि ज़िन्दगी को जीना सीख लिया है
_ कुछ लोग अपनी ज़िंदगी को खुद ही इतना जटिल बना लेते है
_ कि वो उसी में घिरते चले जाते हैं
_ कोई उस जगह से निकालने का प्रयास भी करता है तो
_ उसे भी किनारे लगा लेते हैं
_ इसलिए अपनी मुश्किलों को ज़िन्दगी की नियति न मानिए
_ बल्कि अपनी ज़िंदगी का हिस्सा मानकर जीने की कोशिश करें
_ लोगों से भागना व ज़िन्दगी को खत्म करने की कोशिश करना
_ असल में हमारी कमजोरियों को दर्शाता है
_ इंसान अपनी इच्छाशक्ति व आत्मबल से
_कोई भी मुश्किल से पार पा सकता है
_ हमारी ज़िंदगी में बागों के मानिंद कई फूल जुड़े होते हैं
_ हर किसी की रंगत व खूबियां भिन्न होती है
_ लेकिन ये सभी हमारी ज़िंदगी महकाते जरूर है
_ एक फूल के मुरझा जाने से हम पूरे बाग को नहीं छोड़ देते
_बल्कि ये प्रयास करते हैं कि दूसरे फूल खिलते रहें
_ बस यही ज़िन्दगी है….
– Nida Rahman
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