सुविचार 4062

भोजन उपलब्ध होने और उसे ग्रहण कर पाने के लिए कृतज्ञ हो कर,

_ हम भोजन के समय को भी ध्यान के समान ही बना सकते हैं.

सुविचार 4061

जब कभी मनुष्य को दुख होता है, अपने ही भ्रम के कारण होता है. यदि मन में भ्रम न रहे तो उसे किसी का भय न रहे. – वृन्दावनलाल वर्मा.

सुविचार 4060

वही बात बोलनी चाहिए जिस से न स्वयं को कष्ट हो और न दूसरों को ही.

_ अतः सुभाषित वाणी ही श्रेष्ठ है.

सुविचार 4059

जब आपने सोच लिया है कि मुझे ये काम करना है, _तो फिर चाहे तो काम कितना ही कठिन क्यों न हो,

_एक बार उसे करने की कोशिश तो कीजिए.

कोशिश कोई भी छोटी नहीं होती, बस नियत साफ़ और ईमानदार होनी चाहिए.

सुविचार 4058

समझदार है वो जो काम को जल्द कर ले,

_ और काबिले तारीफ है वो जो कठिन काम को भी सादगी से कर दे.

सुविचार 4057

जो सादगी में रहते वो जीवन को गहराई तक समझ पाते है,

_ वरना कुछ तो अपनी जिंदगी पैसो का दिखावा करने में ही बिता देते है.

जीवन की लंबाई नहीं, गहराई महत्वपूर्ण है.

_कि हम कितनी गहराई से जीते हैं.

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