सुविचार 4062
भोजन उपलब्ध होने और उसे ग्रहण कर पाने के लिए कृतज्ञ हो कर,
_ हम भोजन के समय को भी ध्यान के समान ही बना सकते हैं.
_ हम भोजन के समय को भी ध्यान के समान ही बना सकते हैं.
_ अतः सुभाषित वाणी ही श्रेष्ठ है.
_एक बार उसे करने की कोशिश तो कीजिए.
_ और काबिले तारीफ है वो जो कठिन काम को भी सादगी से कर दे.
_ वरना कुछ तो अपनी जिंदगी पैसो का दिखावा करने में ही बिता देते है.
_कि हम कितनी गहराई से जीते हैं.