सुविचार 4649

*अच्छे के साथ अच्छे बनें *पर बुरे के साथ बुरे नहीं*

*….क्योंकि -**हीरे से हीरा तो तराशा जा सकता है लेकिन कीचड़ से**कीचड़ साफ नहीं किया जा सकता*

आजकल तो अच्छे वही माने जाते हैं..
_ जो दूसरों के अनुसार झुक जाएँ.. बाक़ी सब ‘रूखे’ कहलाते हैं.!!

सुविचार 4647

लोगों की बातों से क्यों परेशान होते हो, लोग तो कुछ भी बोल कर निकल जाते हैं ;

जब हालात बदलते हैं, तो लोगों के बोल बदल जाते हैं.

सुविचार 4646

जिन्दगी से यही सीखा है हमने कि मेहनत करो, रुकना नहीं,

हालात कैसे भी हों, किसी के सामने झुकना नहीं..

सुविचार 4644

कितने अजीब होते हैं लोग, गलत साबित होने पर माफी नहीं मांगते..

बल्कि, आपको गलत साबित करने में अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं.

कदम चाहे धीरे हों, सफ़र तय हो जाएगा, ठहर जाने वाले का तो सपना भी मिट जाएगा.!!
मुझे अजीब लोग पसंद हैं, जो बाहर से साधारण और भीतर से तूफ़ान होते हैं… पर चुपचाप चलते हैं,

_ पर उनके कदम कहानियाँ लिखते हैं..
_ सामान्य दिखने वाले लोग ही अक्सर सबसे असामान्य सच अपने भीतर छुपाए होते हैं,
और इन्हीं से आपको सबसे ज़्यादा सावधान रहना चाहिए.!!
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