सुविचार 4208
मन का विकास एक संतुलित अवस्था विकसित करने और सोचने से महसूस करने की ओर जाना है.
मन कि बात करो तो किस से ?
_ जो भी हैं वो भी उलझन में हैं,
उनके मन के आगे पेट खड़ा है..!!
_ जो भी हैं वो भी उलझन में हैं,
उनके मन के आगे पेट खड़ा है..!!
किन्तु इनकी ध्वनि अनन्त तक गूँजती रहती है.
ज्यादा कसना भी गलत है और ज्यादा ढील छोड़ना भी गलत है.