सुविचार 4349
किसी को ” चोट ” पहुँचाना एक ” कर्ज ” है,
ऐसा ” कर्ज ” जो आपको किसी और से अवश्य मिलेगा..
ऐसा ” कर्ज ” जो आपको किसी और से अवश्य मिलेगा..
मंज़िलों की फितरत है खुद चलकर नहीं आतीं..
_आज नहीं तो कल उसको दुगुना मिलता है, और इसका भुगतान व्यक्ति को आगे के समय में करना पड़ सकता है…!
अरे वक्त लगता है बीज को फसल बनने में !
लेकिन हारने के बाद जो गले लगाए सिर्फ वही अपना होता है.