सुविचार 4275

” समस्याऐं हैं तो, समाधान भी है,

तलाशोगे तो जरूर मिलेगा, जिन खोजा तिन पाईयाँ “

सुविचार 4274

ईमानदार आदमी कभी खुदगर्ज नहीं होता, और बेईमान किसीका सगा नहीं होता ; स्वयं का भी नहीं.
जितना हम पढ़े लिखे हुए हैं, दरअसल हम उतने ही बेईमान बने हैं, _

_ गहराई से सोचें तो ये बात सही लगती है कि पढ़े लिखे लोग हर चीज को मुनाफे से तौलते हैं, _
_ ये बात समाज को तोड़ रही है, शिछा मतलब ये नहीं कि इंसानियत को ही भूल जायें !!
दूसरे की तकलीफ़ समझना ताक़त की नहीं, इंसानियत की निशानी है.. और यह गुण
हर किसी में नहीं होता.!!

सुविचार 4273

तड़प होनी चाहिए कामयाबी के लिए, सोच तो हर कोई लेता है !
जिस इंसान के भीतर बेहतर जीवन के लिए तड़प है, उसे कोई नहीं रोक सकता.!!

सुविचार 4272

समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दे, तो समझ लो

.. उसके आत्मसम्मान को कहीं ना कहीं ठेस पहुंची है..

अपना आत्मसम्मान बनाए रखें,

_ हर चीज और हर बात.. किसी से प्रसाद की तरह न बांटे..!!

अपने आत्मसम्मान से समझौते कर व्यवहार बचाने वाले लोग मेरे दिमाग से बाहर है..!!
जब आप किसी को अपने आत्मसम्मान के साथ खेलने का मौका देना बंद कर देते हैं,

_ तो वो ऐसे दिखाने लगता है कि आपके साथ रिश्ता निभाना बहुत मुश्किल है..!!
संबंध का अर्थ है..पीठ पीछे भी सम्मान !!
अपने सम्मान और गरिमा के साथ कभी समझौता मत करिये,

_ यदि आपने एक बार समझौता कर लिया – तो आपको जीवन भर जिल्लत महसूस करना होगी और आप अपनी ही नज़रों में गिर जायेंगे,
_ बेहतर है कि आप आपके साथ किसी भी तरह का मूर्खतापूर्ण या अमानवीय व्यवहार करने वाले को ऐसा सबक सीखाएँ कि वह किसी से जीवन में कभी बदतमीजी करने की हिम्मत ना करें और कानूनी रास्ते भी खुले हैं सबके लिये..!!

सुविचार 4271

अंत में यही आभास होता है कि अकेले रहना भी कितना महत्वपूर्ण है.
हम उस चीज़ को महत्व नहीं देते जो हमारे पास पहले से ही है.

सुविचार 4270

जब सर पे जिम्मेदारी बड़ी हो तो हिसाब से रहना पड़ता है ;

_ बहुत कुछ सुनना पड़ता है और बहुत कुछ सहना पड़ता है.

“जैसे जैसे बड़े होते गये, ज़िम्मेदारियों के बोझ तले दबते चले गए !!”
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