◆◆◆ सहानुभूति ◆◆◆
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जो तुम्हारे सुख में सुखी नहीं हुआ, वह तुम्हारे दुख में दुखी कैसे हो सकता है ?
_ लेकिन सहानुभूति बताने का मजा है और सहानुभुति लेने का भी मजा है.
_ सहानुभूति बताने वाले को क्या मजा मिलता है ?
_ उसको मजा मिलता है कि आज मैं उस हालत में हूं जहां सहानुभूति बताता हूं.
_ तुम उस हालत में हो, जहां सहानुभूति बतायी जाती है.
_ आज तुम गिरे हो चारों खाने चित्त, जमीन पर पड़े हो.
_ आज मुझे मौका है कि तुम्हारे घाव सहलाऊं, मलहम—पट्टी करूं.
_ आज मुझे मौका है कि तुम्हें बताऊं कि मेरी हालत तुमसे बेहतर है.
_ जब कोई तुम्हारे आंसू पोंछता है, तो जरा उसकी आंखों में गौर से देखना.
_ वह खुश हो रहा है.. वह यह खुश हो रहा है कि चलो, एक तो मौका मिला.
_ नहीं तो अपनी ही आंखों के आंसू दूसरे पोंछते रहे जिंदगी भर..
_ आज हम किसी और के आंसू पोंछ रहे हैं !
_ और कम से कम इतना अच्छा है कि हमारी आंख में आंसू नहीं हैं.
_ किसी और की आंखों में आंसू हैं.. हम पोंछ रहे हैं !
_ लोग जब दुख में सहानुभूति दिखाते हैं, तो मजा ले रहे हैं,, वह मजा ले रहे हैं..
_ वह स्वस्थ—चित्त का लक्षण नहीं है.
_ और तुम भी दुखी होकर.. जो सहानुभूति पाने का उपाय कर रहे हो, वह भी रुग्ण दशा है.
_यह पृथ्वी रोगियों से भरी है; मानसिक रोगियों से भरी है.
_ यहां स्वस्थ आदमी खोजना मुश्किल है.
– ओशो