मस्त विचार 4413
छोटी छोटी ख़ुशियाँ ही तो जीने का सहारा बनती हैं,
ख़्वाहिशों का क्या वो तो पल पल बदलती हैं.
ख़्वाहिशों का क्या वो तो पल पल बदलती हैं.
क्योंकि ” मौज, होश की अर्धांगिनी है.
अगर मैं टूट गया तो कोई समेट नहीं पायेगा.
पर हर रोज जमाना मुझमें, नया ऐब ढूढ़ ही लेता है.