मस्त विचार 4433
बहुत नजदीक से देखा है दुनिया को..
तब ही से दूर बैठा हूं सब से…
तब ही से दूर बैठा हूं सब से…
हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की.
ये वो ही लोग है जो ज़िन्दगी समझते हैं..
जो भीड़ तुम्हारे पीछे खड़ी है वो भी किसी मतलब से खड़ी है.
हम हर मोड़ पर लफ्ज़ो की निशानी छोड़ जाएंगे….
कुछ तो बर्दाश्त किया होगा मैने..