मस्त विचार 4454

मुझे मत सिखाइये कि ज़िन्दगी कैसे जीते हैं,

आप मुझसे सिखिये कि जिन्दा रहकर हर ग़म को कैसे पीते हैं.

मस्त विचार 4450

“मैं अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करूँगा,

_ पर किसी की असलियत को स्वीकार ज़रूर करूँगा.!!”

कुछ चीजें अकड़ की वजह से नही, बल्कि आत्मसम्मान के लिए छोड़नी पड़ती है.
अपनी कीमत खुद समझो, जो आपको नहीं समझते,

_ उनके सामने झुकना सिर्फ खुद के आत्मसम्मान को गिराना है.!!

बेशक़ समझौता समाधान कर सकता हैं.

_पर खोया हुआ सम्मान कदापि नहीं.!!

समझौतों का ज़माना खत्म हुआ..!
_ अब लोग अपने मन-मुताबिक जीते हैं.!!

मस्त विचार 4449

जीवन के उस पड़ाव पर हूँ जहाँ अपना कहने वाले तो बहुत हैं…

परन्तु अपना मानने वाले कोई नहीं…!!

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