मस्त विचार 4021
बहोत दिनो बाद हँसी आई, _ कम्बख्त अपने ही हाल पर !!
जब हँसी असली न हो तो..
_हम हँसते हुए खाली डिब्बे की तरह बजते हैं..!!
जब मैं बहुत ज़्यादा, बेबात हँसने वाले लोगों को देखता था तो सोचती था कि उनमें ज़रूर पागलपन के कुछ तत्व हैं.
_ यह अहसास मुझे बहुत बाद में हुआ कि थोड़ा पागल होने में कोई बुराई नहीं है,
_ कभी-कभार बेबात भी हँस लेना चाहिए.
_ (वेरी स्ट्रेंज). धीरे-धीरे हँसने की आदत पड़ जाएगी तो आपकी हँसी चाहे ऊपरी हो, लोग आपसे खुश रहेंगे.



