मस्त विचार 4003

लोगों ने मुझ पर फेंके थे पत्थर जो बेशुमार,

_ मैंने उन्हीं को जोड़कर एक घर बना लिया.

कुछ लोगों की प्रवृत्ति होती डंक मारने की..

_मौका मिलते ही मार देते है …और आप हैरान देखते रह जाते हैं..!!

तैरना सिख लो ज़िन्दगी के समंदर में, डुबाने वाले यहाँ बस मौका देखते हैं.!!

मस्त विचार 4001

बात तो होती है, पर अब बातों में वो बात नही होती..
न जाने कहाँ चला गया है आज का इंसान

_बात तो करता है _बातें नहीं करता..!!

मस्त विचार 4000

लफ्जो की दहलीज पर, घायल ज़ुबान है……!!

_ कोई तन्हाई से तो कोई, महफ़िल से परेशान है..!!

ज़ुबान अगर तेज़ हो तो खंजर से भी गहरा दर्द करती है.
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