मस्त विचार 3917

भीगी नहीं थी कभी मेरी आँखें वक्त की मार से,

तेरी जरासी बेरुखी ने हमें जी भर के रुला दिया..!!

मस्त विचार 3916

बंद “तकदीर” के “तालें” वहीं लोग खोलते हैं ,

जिन्होंने अपने “हुनर” से “चाबी” बनाई होती हैं…..।।

अफ़सोस कि _बहुत कम लोग होते हैँ..

_जो गहराई में जाकर _ सही मायने में सोचने-समझने का हुनर रखते हैँ…!!

बहुत कम लोग ही जीवन की गहराई देख पाते हैं,

_ क्योंकि ज़्यादातर लोग ऊपरी सतह पर ही जीते हैं.!!

ठाले से बेगार भली, ये बेगार कभी बेकार नहीं जाती..

_अपने अंदर कोई हुनर लाएं और वो हुनर हमेशा साथ देगा !!

हो सकता है कि आप में दूसरों से कम हुनर हो,

_ लेकिन हार न मानने का हुनर आपको उनसे अलग बनाता है !!

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