मस्त विचार 3895
शब्दों का भी तापमान होता है साहब,
_ कभी सुकूँ देते हैं तो कभी जला देते हैं..
_ कभी सुकूँ देते हैं तो कभी जला देते हैं..
..और दूसरी तरफ कहती है वक्त किसी का इंतजार नहीं करता….
_ मैं नये सिरे से जीना सिखना चाहता हूं.
काफ़िर हूँ मैं… कोई दीवाना नही जो लौट के फिर आऊँगा.
_ लोग समझने लगे मुझे तकलीफ नहीं होती..
कहीं न कहीं सारे लोग उलझे हुए हैं, या फिर किसी का दिल टूटा है, किसी के साथ कुछ हो गया _ जिससे परेशान है, वगैरह -वगैरह..!!
_ और उनके पास कोई सुनने या समझने वाला भी नहीं होता..!!
_ क्योंकि बोझ बन जाने से याद बन जाना बेहतर है..