मस्त विचार 3872
“जो आदमी अपनी सोच में ही गुनाह कर लेता है,
_वो गुनाह करने वाले से भी बडा़ गुनाहगार है, “
_वो गुनाह करने वाले से भी बडा़ गुनाहगार है, “
_अगर अहमियत होगी तो लोग खुद याद कर लेंगे..
ताकतवर से सभी संधि चाहते हैं, यही दुनिया का रिवाज़ है “
_ बस मैं ही ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीद कर बैठा.
_आप कोई भी हो, हमें फर्क नहीं पड़ता.
_ यहां किसी को फर्क नहीं पड़ता तेरे हाल से..!!
ख्वाहिशों की कीमत सुकून को चुकानी पड़ती है !! दोनों एक ही बात है..