मस्त विचार 3795
दूसरों को मिटाने की धुन में आदमी ख़ुद को यूँ मिटाता है,
_जैसे चुभने की फ़िक्र में काँटा शाख़ से ख़ुद ही टूट जाता है.
_जैसे चुभने की फ़िक्र में काँटा शाख़ से ख़ुद ही टूट जाता है.
उतना उतना मानता गया कि वाकई, मैं तो कुछ नहीं जानता”.
_ जिंदगी हमको बस ऐसे ही आजमाती रही..!!
_ अपने दुश्मनों को तो यूँ ही हरा देता हूँ..!!!
_..कि जो होना था, हो ही गया….!!
वो जो गलती ना करे कोई #फरिश्ता होगा..!!