मस्त विचार 3748
बहुत थे मेरे भी इस दुनिया में अपने,
_ फिर हुआ सच बोलने का नशा और हम लावारिस हो गए.
_ फिर हुआ सच बोलने का नशा और हम लावारिस हो गए.
जब वो फ़िदा ही हमारी सादगी पर है.!
_ मैं ” मैं ” हूँ किसी शहर का अखबार नहीं..
बहुत हिम्मत चाहिए खुद को खुद से रोकने के लिए..
लेकिन बदलते हुए अपने कभी अच्छे नहीं लगते !!
_ गुनाहों पर अपने परदे डालकर, कहते हैं ज़माना बड़ा खराब है..!!