मस्त विचार 4249

“ओंस” की “बूंद_सा” हैं “ज़िंदगी” का सफर भी,

कभी “फूल” में तो कभी “धूल” में…।।

लोग कहते हैं कि हो जाता है संगत का असर,

_ पर काँटों को तो आया नहीं, आज तक फूलों के साथ रह कर भी महकना..!!

मस्त विचार 4248

कभी कभी, कितनी बातें कहनी होती है, जब कोई सुनने वाला नहीं होता है…।
यह भी विचार कीजिए कि कोई आपकी बात कब काटता है ?

_ सीधी सी बात है — जब आप उसे बोलने का मौका नहीं देते..
_ बोलने का मौका दीजिए, कोई आपकी बात कभी नहीं काटेगा..
_ अगर कोई आपसे कुछ बोलना चाहे तो उसे बोलने दें, बोलने दें और इतना बोलने दें कि वह थक जाए..
_ जब वह चुप हो जाए तो आप बोलना शुरू कीजिए..
_ आपको हैरानी होगी यह देख कर कि आपकी बात काटना तो दूर, वह आपकी हर बात से सहमत होता जाएगा..
_ ज्यादातर लोगों को शिकायत ही यह होती है कि उनकी किसी ने सुनी नहीं ;
_ आपने सुन ली, सावन का बादल हल्का हो गया..
_ अब वह उमड़-घुमड़ कर नहीं आएगा..
_ आपने उसकी बात नहीं काटी, उसने आपकी..!!
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