मस्त विचार 3677

मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके ‘पर’ बोलते हैं,

_ रहते है कुछ लोग ख़ामोश लेकिन उनके हुनर बोलते है.

ख्वाब तो परिंदों के होते हैं आसमान छूने के,

_ इंसान की नस्ल तो बस गिरने गिराने में लगी है..!!

उड़ना तो हर कोई चाहता है लेकिन आसमान हुनर पहचानता है..!!

मस्त विचार 3676

एक कायदा सा हो गया है

किसी को अच्छा या किसी को बुरा कहना,

मानो इन छोर के बीच जैसे कुछ है ही नहीं…

मस्त विचार 3674

कोई नहीं दुश्मन अपना, फिर भी परेशान हूँ मैं,

अपने ही क्यों दे रहे हैं जख्म, इस बात से हैरान हूँ मैं.

मस्त विचार 3673

लाजमी तो नहीं हर बार सज़ा गुनाह की ही मिले,

कभी – कभी ज्यादा नेकी भी सज़ा लाजवाब दिलाती है.

मस्त विचार 3672

मिलते रहे रुलाने वाले, हम बन गये हंसाने वाले.

मन से निर्मल हो नहीं पाते, रोज- रोज गंगा नहाने वाले.

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