मस्त विचार 3541

दूसरे मुझे पसंद करें, या नापसंद, मैंने सोचना छोड़ दिया,

_ मुझे खुद को पसंद करने में सालों लगे, अब दूसरों को समझाने के लिए इतना वक्त नहीं.

नापसंद व्यक्ति को भी कई बार हम छोड़ नहीं सकते.

_ जिन्हें छोड़ सकते हो, उन्हें छोड़ दो.. जिन्हें नहीं छोड़ सकते, उन्हें बर्दाश्त करो.
_ बहुत से लोगों को हम छोड़ नहीं सकते… उन्हें बर्दाश्त करते रहना ही नियति होती है.!!

मस्त विचार 3537

यादों का भी क्या कहना, जैसे की इनके पैर हो,

_ चलकर बर्षो पहले तक की बातें ताज़ा कर जाती है.

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