मस्त विचार 4478
नहीं मुमकिन छिपा पाना खुदी को आईने में,
कभी आँखें, कभी साँसे, हकीकत बोलती हैं !
कभी आँखें, कभी साँसे, हकीकत बोलती हैं !
जौहरियों की जब जब भी कमी हो जाती है.
बहुत बेदर्द बैठे हैं दुनिया में जाल बिछाने वाले.
पर दर्द जगाता भी है,,,ये सब नहीं जानते,,,
आप मुझसे सीखिए कि जिन्दा रहकर हर ग़म को कैसे पीते हैं.
ना खुश हूँ ना उदास हूँ, बस ख़ाली हूँ और खामोश हूँ.