मस्त विचार 4177
” परखना सीखो, परखना, आ गया याने,
जीवन जीना आ गया,”
जीवन जीना आ गया,”
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता,
कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँकी,
ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता.
मजबूत बनें क्योंकि लोग कमजोर लोगों का उपयोग करना पसंद करते हैं.
_ न हवाओ ने बख्शा, न टहनियों ने पनाह दी..
_ कौन जानता है, खैर !!…
फिर भी फ़ासला कई पन्नों का था..
रचना इसकी सुंदर अति सुंदर यह सौरव !”