मस्त विचार 4287
ना कर तू इतनी कोशिशे, मेरे दर्द को समझने की…
तू पहले इश्क़ कर, फिर चोट खा, फिर लिख दवा मेरे दर्द की..
तू पहले इश्क़ कर, फिर चोट खा, फिर लिख दवा मेरे दर्द की..
वो मुझे ज़रा सा भी नहीं चाहिए।”
में ऐसा शख्स हूँ फिर भी हंस के मिलूंगा..
तुमको खुद से ज्यादा चाहा,…क्या इसलिए…??
जानता हूं कोशिश चाहे जितनी भी कर लूं, मगर गुनाह मुझसे होते ही रहेंगे..
वरना ख़ुद्दार मुसाफ़िर हूँ…ख़ामोशी से गुजर जाऊँगा”