मस्त विचार 4287

ना कर तू इतनी कोशिशे, मेरे दर्द को समझने की…

तू पहले इश्क़ कर, फिर चोट खा, फिर लिख दवा मेरे दर्द की..

मस्त विचार 4283

थोड़ी सी माफी उधार दे दे ” ऐ ख़ुदा “…

जानता हूं कोशिश चाहे जितनी भी कर लूं, मगर गुनाह मुझसे होते ही रहेंगे..

मस्त विचार 4282

“खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाऊँगा,

वरना ख़ुद्दार मुसाफ़िर हूँ…ख़ामोशी से गुजर जाऊँगा”

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