मस्त विचार 4034
रिवाज़ ” मनाने के ” खत्म हो चले जबसे,
_ मैंने भी रूठना छोड़ दिया, अकेला हो जाने के डर से..
_ मैंने भी रूठना छोड़ दिया, अकेला हो जाने के डर से..
_ सदा “बहार होती तो ” तिनके कहाँ से लाते…”
_ अब ऐसा रंग लगाओ, जो चढ़े तो कभी ना उतरे..
_ हमारा अच्छा बुरा हमसे बेहतर ” वो ” जानता है.
_ दिखावे की चापलूसी करने वालों से गर्व महसूस करते हैं..