मस्त विचार – “हीरा और पत्थर”- 4411

“हीरा और पत्थर”

_ एक हीरा था दिल से चमकता, पर जीवन उसने पत्थर सा जिया.
_ ना कभी रोशन हुआ, ना कभी टूट के बिखरा, बस चुप-चाप हर दर्द को पिया.
_ चमकने का जुनून था उसमें, पर लोगों की नज़र में पत्थर ही रहा.
_ खामोशी में जीती उसकी कहानी, हर पल एक अनकही दुआ सा बहा.
_ वक़्त के चाकू ने काटा उसे, पर उसने कभी ना दिखाया गिला.
_ एक हीरा, जो दुनिया को पत्थर दिखा – पर अंदर से रोशनी का सिला.!!
_ पत्थर दिल बनना मज़बूरी है मेरी, अगर मैं टूट गया तो कोई समेट नहीं पायेगा.!!!

मस्त विचार 4408

तराश रहा खुद को भी मैं, हो जाऊं लोगों के मुताबिक

पर हर रोज जमाना मुझमें, नया ऐब ढूढ़ ही लेता है.

error: Content is protected