मस्त विचार 4095
अपने हिस्से की क़िस्मत अपने हाथों से ही गढ़ लेंगे,
धीरे-धीरे ही सही मगर थोड़ा बहुत हम भी आगे बढ़ लेंगे !
धीरे-धीरे ही सही मगर थोड़ा बहुत हम भी आगे बढ़ लेंगे !
बुझ जाऊंगा किसी रोज़… मैं सुलगते सुलगते !!
खैर अब मुझे अभ्यास हो चुका कि अपनों को अपना ना समझने में ही भलाई है..
धोखा भी धोखे से दिया उसने !!
खोज तो खुद की है खुदा तो बहाना है.
_पर वो याद वही रखेगा ..जो आप कर नहीं पाये..!!