मस्त विचार 4095

अपने हिस्से की क़िस्मत अपने हाथों से ही गढ़ लेंगे,

धीरे-धीरे ही सही मगर थोड़ा बहुत हम भी आगे बढ़ लेंगे !

मस्त विचार 4093

अपनों का व्यवहार किसी अपरिचित सा जान पड़ता है ;

खैर अब मुझे अभ्यास हो चुका कि अपनों को अपना ना समझने में ही भलाई है..

मस्त विचार 4090

यहां हर शख्स मुसाफिर है, __एक दिन यादों से भी चला जाता है..!!
मुसाफिर हूँ मैं भी मुसाफिर हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी.!!
किसी के लिए कितना भी कर लीजिए..

_पर वो याद वही रखेगा ..जो आप कर नहीं पाये..!!

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