मस्त विचार 4353
जो सुकून अज्ञात बन कर रहने में है न, वो भीड़ में कहाँ….!!
ये ज़ख़्म देते भी हैं और उन्हें भर भी देते हैं.
यहाँ सब गैर हैं, तो हँस के गुजर जायेगी.
ग़म में जो मुस्कुरा दे उसका चेहरा पढ़ा करो !
_ ज़िन्दगी का मुझमें, दूर तक नामो-निशाँ नहीं.!!
उनकी भी एक याद बनी रहती है जीवन में..