मस्त विचार 4097
मिलकर उनसे क्या हुआ हासिल,
मुफ्त में जिंदगी उदास कर बैठे..
मुफ्त में जिंदगी उदास कर बैठे..
यह जिम्मा मैंने वक़्त को दे रखा है…!!
धीरे-धीरे ही सही मगर थोड़ा बहुत हम भी आगे बढ़ लेंगे !
बुझ जाऊंगा किसी रोज़… मैं सुलगते सुलगते !!
खैर अब मुझे अभ्यास हो चुका कि अपनों को अपना ना समझने में ही भलाई है..
धोखा भी धोखे से दिया उसने !!