मस्त विचार 4001

बात तो होती है, पर अब बातों में वो बात नही होती..
न जाने कहाँ चला गया है आज का इंसान

_बात तो करता है _बातें नहीं करता..!!

मस्त विचार 4000

लफ्जो की दहलीज पर, घायल ज़ुबान है……!!

_ कोई तन्हाई से तो कोई, महफ़िल से परेशान है..!!

ज़ुबान अगर तेज़ हो तो खंजर से भी गहरा दर्द करती है.

मस्त विचार 3997

रास्ते खुद ब खुद मंज़िलो के पते बताते हैं,

_ मील के पत्थर, जब हमसफ़र बन जाते हैं..

आपको कोई रास्ता तो दिखा सकता है, लेकिन मंज़िल तक तो खुद ही पहुंचना होगा.

_ मगर सही रास्ता दिखाने में लगी effort को भी लोग appreciate नहीं करते.!!
रास्ता जितना कठिन होता है, मंज़िल पर पहुंच कर उतनी ही राहत मिलती है.

(मंज़िल चाहे जैसी भी हो.)

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