Mast Magan

मरना जरूरी नहीं.. मेरी तरह जिंदगी जियो..!!

_ अपने हृदय को लोगों की प्रशंसा से प्रसन्न न होने दें.. और न ही उनकी निंदा से दुःखी होने दें.!!

ज़्यादातर लोग मेरे शब्दों की गहराई नहीं समझते और बिना समझे ही इन्हें आम शब्द समझकर आगे बढ़ जाते हैं,

_ लेकिन ये शब्द और विचार वो चाबियाँ हैं जो जंग लगे ताले को खोल सकते हैं.!!

क्या आप जिंदा है..??

_ आपका जवाब होना चाहिए –”हां, मैं जिंदादिली के साथ जिंदा हूं..”

क्या मुझे लोगों की तारीफ़ चाहिए या अपने होने का सुकून ?

_ जो अपने होने को समझ गया, उसे दुनिया समझने की ज़रूरत ही नहीं रहती.!!

मिलना कभी वक्त निकाल कर..

_ मैं भले ही सस्ता हूँ.. पर मुलाकात महंगी बना कर जाऊंगा.!!

हर वो चीज़ जिसकी वजह से आप मुस्कुरा लेते हैं,

_ उसे राज़ ही रखें तो बेहतर है..!!

ख़ुशी को शब्द नहीं मिलते तो वो और गहरी हो जाती है,

_ और ये ख़ुशी पहले-पहले अकेलापन लाएगी, “फिर एक दिन वो आनंद का राज़ बन जाएगी”

“जिन्हें मैं सबसे पहले अपनी ख़ुशी बताना चाहता था, वो ही समझने को तैयार नहीं थे…

_ तो मैंने ख़ुशी से कहा – चलो, सिर्फ तुम और मैं मिलकर जीते हैं”

जिस दिन तुम जो हो वहीं बन जाओगे, उस दिन तुम्हे उसकी प्रतीति हो जाएगी.!

_ क्योंकि जिस दिन तुम पूरे खिलोगे, वही अनुभव है उसका..!!

“शायद मैं उसकी तरफ बढ़ रहा हूँ,

_ जो मुझे बिना ढूंढे भी महसूस कर रहा है”

आज अचानक.. अपनी ही याद आ गयी क्या हुआ करता था मैं..

_ मुझे अपने पुराने रूप में रहना बिल्कुल पसंद नहीं, वह एक दुःखी व्यक्ति था.!!

दुख पूरी तरह से समाप्त हो जाता है जब व्यक्ति रब, दूसरों या स्वयं से कुछ भी नहीं चाहता.!!
अब मैं बड़ी-बड़ी प्लानिंग नहीं बनाता,

_क्योंकि प्लानिंग हमेशा से मुझे तमाचा मारते आई है.!!

आपका यहां अपना कौन है ?

_ याद रखना, कोई भी नहीं, जब आपको पता चल जाए कि आपका यहां अपना कोई भी नहीं है,

_ तो आप जीवन को ज्यादा अच्छे से, खूबसूरती और जिंदादिली के साथ जी पाते हो !!

_ अपनी खुशियां जितनी छुपा कर रखोगे.. उतना खुश रहोगे..!!!

_ कोशिश करें कि सुकून का ताल्लुक किसी इंसान से न हो.!!

“सब का मंगल सोचना” – बस यहीं तक ठीक है.

_ बस यही एक काम है.. कि बस सोच सकते हैं बिना किए..

_ अगर करने पर आ गए सब का मंगल.. तो मंगल करने वाला बचेगा नहीं.!!

मुझे तो जीवन सबका बैल गाड़ी जैसा लगता है..!

_ रोज कीचड़ में फंस जाता, रोज धक्का लगाते..

मैं बहुतो के आँखों मे खटकता हुँ — बहुत कोई मुझसे नफ़रत करते हैं —

— और सही मायने में मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता —

— ” मुझे अपनी धुन पसंद है — मेरे अपने नियम हैं.”

आसान नहीं होता, आराम से जी लेना..

_ मर-मर के ज़िंदगी को आसान किया मैंने.!!

दूसरों की बनाई तस्वीर में कैद रहना मुझे मंज़ूर नहीं,

_ मैं तो गहरे रंग चुनूँगा.. जिन्हें देखकर लोग चौंकें.!!

“अब मैं किसी को खुश करने की कोशिश किए बिना जी सकता हूँ.!!”
“गहराई तक उतर जाता हूं, मैं सतह तक नहीं रहता..”
मजे करो, खुश रहो, डरने का नहीं – जो मन में है करने का और अभिव्यक्त करने का,

_ एक इंसान दूसरे इंसान पर कभी भी हावी नहीं हो सकता – और किसी को होने भी ना दें..

_ कुल मिलाकर बात यह है कि एक ही जीवन है मस्त रहो.!!

“समझ”

_ हर एक की समझ का एक स्तर होता है और सिर्फ़ इस बात के लिए आपको लोड लेने की ज़रूरत नहीं है कि.. दूसरों कि समझ का स्तर अलग है ;

_ आप अपनी लाइफ और अपनी समझ के हिसाब से समझिए चीजों को.. _ और दूसरों को उनकी समझ घिसने दीजिए.!!

हम यदि थोड़े समय के लिए स्वयं को भुला देते हैं तो उसे सुख कहने लगते हैं, फिर चाहे नशा हो, मनोरंजन हो, निंद्रा हो, खेल या मनपसंद कार्य..!

_ वहीं जो कुछ भी हमें सत्य से परिचित करवाकर झकझोर दे अन्दर तक, उसे दुःख मानने लगते हैं.

_ सत्य से जो परिचय करवा रहा, उसे कोई नहीं चाहता, विचित्र..!!

मन का नही हुआ तो पीड़ा है ?

_ अच्छा ये बताओ बचपन से लेके आज तक मन का हुआ क्या था ?

_ बावजूद इसके ज़िन्दगी चलती रही ना… निराश न हो आगे भी चलती रहेगी….!

जीवन के सारे सपोर्ट सिस्टम को हटाकर देखो कि.. क्या आप अकेले अपने दम पर जी पा रहे हो.

_ यदि नहीं, तो पहले अपनी स्थिति को सुधारो.!!

अब मैं उन सभी चीज़ों से दूर होता जा रहा हूँ, जो मुझे पसंद करने के लिए मजबूर किया गया था, जिन्हें मेरी पसंद बताकर मुझ पर थोपा गया था.

_ अब मुझे सिर्फ वही चाहिए.. जो मेरे भीतर से उठे, ना कि जो बाहर से सिखाया जाए.!!

जब ज़िन्दगी में अपने मन का कुछ होना ही नहीं है तो “ये ज़िन्दगी हमें मिली ही क्यों है ?”

_ हमारी तलाश ज़िंदगीभर अधूरी रह जाती है, हम जो चाहते हैं वो हमें कभी नहीं मिलता ;

_ और जब वो मिलता भी है, तब तक हम बहुत दूर जा चुके होते हैं,

_ जो मिलता भी है तो हमारे अपेछा के अनुरूप नहीं होता,

_ जहां अपने मन का कुछ न हो, ऐसा जीवन पराया-सा लगता है..!!

अफसोस क्यों करना.. जो नहीं है उसका..!

_ यदि यह न होता तो शायद कुछ और कमी होती..!!

सवाल ये है कि इंसान क्या चाहता है ?

_ जवाब है – जो है उसके अलावा सब..!!

मैंने अच्छा बनकर भी देखा है.. अच्छों के संग दुनिया अच्छा नहीं करती.!!
मैं किसी को यह समझाने की कोशिश नहीं करता कि मैं क्या हूँ.

_ मेरा सच कोई विज्ञापन नहीं, एक खुशबू है—चाहे महसूस हो या न हो.

अगर कोई अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन जी रहा है, तो हमें उससे ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए,

_ क्योंकि आप उनके संघर्ष की पिछली कहानी नहीं जानते.

_ आप नहीं जानते कि वे वहाँ कैसे पहुँचे..!!

“जब आप अपनी राहों पर अकेले चल रहे होते हो, समझ जाओ- आप वही कर रहे हो, जो सब नहीं कर पाते.!!”

_ ” जो स्थायित्व की तलाश में हैं, वो जल्दबाजी से नहीं, समझदारी से चलता है”

और फिर जब आपको अहसाह हो कि जिंदगी कभी वैसी नही होती, जैसा हम सोच लेते हैं, तो जिंदगी जीने का मजा ही अलग हो जाता है..!!
आप ज़माने से जा मिले, वरना मैं ज़माने को आप से मिलवाता.!!
“चिंता आती है – पर मैं उसे देख लेता हूं, रोकता नहीं.. इसी में मेरी शांति छुपी है.”
जो व्यक्ति खुद के साथ ईमानदार हो, उसे पूरी दुनिया की सहमति की जरुरत नहीं होती.!!
मिला ना कोई साथ बैठने को, मैं तब अपने ही साथ बैठ गया..!!
“अब मेरे पास सब आंख वाले हैं, जिन्हें सब दीखता है”

_ और जो आंख वाले नहीं हैं, उन्हें मैंने अपना बनाया नहीं.!!

मुझसे कभी कोई जीत नहीं सका.

_मैं खुद ही किसी के आगे हारा तो हारा.!!

सम्भाल के रख अपना किरदार…ऐ यार…

_ जड़ सूखा हो तो फल नहीं लगते.!!

मैं देखूंगा दुनिया.. _मगर अपनी आँखें और अपने हिसाब से !!

_ आप अपना अधिकार स्वयं पर खुद रखें, यह किसी को देंगे तो परेशान होना तय है.!!

_ इंसान यहां खुद से मिलने आया है लेकिन मिलकर दुनियां से जा रहा !!

कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है… कितनी बार सुनेंगे यह बात ?

_ मुझे कुछ नहीं पाना, क्योंकि जो मेरे पास है, वह इतना महत्वपूर्ण और बहुमूल्य है कि उसे खोकर मैं कुछ और पाना नहीं चाहता.!!

Its better to have one in hand than two in the bush.

जब सही, शांत (भीतर की उथल-पुथल से पार हुआ इंसान) और क्रिएटिव इंसान सशक्त बनने की राह पर आता है तो.. सबसे पहली शर्त होती है ढीठ होने की..!

_ मुझे ये बहुत अच्छी लगता है और मैं भी पहले अब ढीठ ही होना चाहता हूँ.!!

जब से मुझे अहसास हुआ कि आरामदायक जीवन घाटा देता है,

_ तब से मैंने आराम को जरुरत से ज्यादा महत्व नहीं दिया.!!

अब सब कुछ ख़ामोशी से देखने का वक्त आ गया है..!!

_ समझदारी यही कहती है, कि बस चुप रहिए..!!

_ जिसको जिससे उलझना है उलझे, ये मेरा मसला कतई नहीं है,

_ क्योंकि जो मेरा मसला था _ वो भी अब मेरा नहीं रहा..!!

_ अपने काम से काम रखता हूँ और मस्त रहता हूँ ..!!

हँसने की वजह.., रोने की वजह.., सब्र की वजह.., बेचैनी की वजह..__दूसरा..

_ यहाँ तक कि जीने की वजह भी दूसरा..

_ मेरा होना मेरे लिए कोई वजह क्यों नहीं है ?

_ चंगा-भला था मैं जब अपनी गुफ़ा में था, रोशनी में क्या आया कि मोह खिंचे चले आए..

_ अँधेरे के अपने दुख, रोशनी के अपने दुख..

_ अपने को अपने लिए अब ज़्यादा रखूँगा, दूसरों के लिए ज़रूरत भर..

_ कह देने से कमिटमेंट बढ़ जाती है, इसलिए कहा..

_ तुम, ये, वो.. सबसे मुझे क्या काम ?

_ मुझसे ‘मैं’ ही क्या कम है.. उलझने को..!!

मरम्मत चल रही है, जल्द ही निखरुंगा नए रूप में !!
दुनिया की हर चीज़ का विकल्प है, किन्तु स्वयं का कोई विकल्प नहीं..!

_ इसलिए सबसे अधिक स्वयं को स्वस्थ व प्रसन्न रखना जरुरी है !!

जब एक ही बात आपको अलग –अलग प्लेटफॉर्म में सुनने या देखने को मिले, तो ये कुदरत का “स्पष्ट इशारा” होता है,

_ आपको उस दिशा में “सतर्क” करने का या उस दिशा में कोई “मजबूत निर्णय” लेने का..!!

अपनी आंतरिक आध्यात्मिक सुंदरता का ख्याल रखें.. यह आपके चेहरे पर झलकेगी.!

– जब एक मनुष्य उस शुद्ध चेतना से एक हो जाता है, तो उसकी व्यक्तिगत पहचान खो जाती है.

_ मैं ज्ञान से जीता हूँ और संसारी चतुराई से जीता है.!!

अपन भी काफ़ी बदल गए…बहुत शांत हो गए… इग्नोर करना सीख लिया…

_ अब मन नहीं करता जवाब देने का… _ “कम बोलना है, सीखना ज़्यादा है.

_ बहसबाजी से बचना है, जब तक बहुत जरूरत न हो…

_ रूटीन सही करना है…बचे हुए कई काम करने हैं…

_ कहानियां लिखनी हैं…अच्छा-अच्छा देखना है…

_ नई-नई जगहें देखनी हैं. अच्छा-अच्छा पढ़ना है…!!

लोग मुझे नहीं जानते, वे अपनी धारणा के अनुसार मुझे जानते हैं,

_ वे मेरे बारे में अलग-अलग सोचते हैं.. जो उन्होंने अपने मन में बना रक्खा है,

_ जब वे मुझे असली तौर पर जानते हैं या फिर जब मैं उन पर भरोसा करते हुए अपनी असली पहचान बताता हूँ, तो वे कहते हैं कि तुम बदल गए हो…

काश मैं आपको दिखा पाता..

_ लेकिन कुछ चीजें हैं..जिन्हें आपको स्वयं देखना होगा.!!

लौटाने को अब पास कुछ नहीं है.. पर मुझे लौटना है अब.!!
हमें थोड़ा खुद के लिए भी जीना चाहिए,

_ वरना तो दुनिया गन्ने का रस निकालने वाली मशीन की तरह हमारा रस निकाल ही लेगी.!

गम नहीं यदि कोई मुझे समझ न सके,

_ मैं फुर्सत की चीज़ हूं और ज़माना जल्दबाजी में है.!!

मैं अपने संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को फलने-फूलने..

_ और अच्छा जीवन जीने का फॉर्मूला देता हूं.!!

हम अपना अधिकांश जीवन अपने दिमाग के अंदर बिताते हैं,

_इसे रहने के लिए एक अच्छी जगह बनाएं.!!

एक जागा हुआ इंसान दूसरे को कभी सुलाएगा नहीं..!!

_ “कड़वा लगेगा जागा हुआ व्यक्ति”

जब आपने दुनिया को अच्छा दिया है, लोगों के लिए अच्छा ही सोचा है तो फिर डर किस बात का, बेफिक्र रहो..!

_ वह सब लौटेगा जो आपके पास आना चाहिए.. क्योंकि इंसान का हिसाब गड़बड़ हो सकता है.. ऊपर वाले का नहीं..!!

जीवन तो कोरा कागज ही रहता है..

_ अपने मन रूपी स्याही से इस पर कुछ भी लिखते रहते हो, पर स्याही मिटती नहीं..

_ पेंसिल बना लो मन को..

_ रात तक आते आते सब कुछ मिट जाए… इसी मन से ही..!

_ अपना अगला दिन फिर रिफ्रेश शुरू हो..

_ यूं ही रंग बिरंगा और मस्त-मगन जीवन..!!

_ आनंद (joy), वास्तव में हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और खुशी (happiness) से भी अधिक मौलिक है.

फितरतन मैं हूँ ही कुछ ऐसा, मुझे यूं बात बात में आँका न कीजिए.!!
मेरी बातें उन लोगों को समझ में नहीं आएंगी.. जिनके लिए वे कही या लिखी गई हैं.

_ बल्कि वो लोग समझेंगे.. जो उस दौर से गुजरे हैं.. जिससे मैं गुजरा हूँ.!

सुधार अब और मुमकिन नहीं,, बड़ी मुश्किल से ख़ुद को जाना है,,

_ बहुत चला सबके मुताबिक,, अब जाकर,, ख़ुद को जाना है !!

अब जो मैं हूँ ये होने के बाद क्या ख़ास होता है ?

_जो ख़ास था.. वो ख़ास नहीं रहता..

_ जो भी हो रहा होता है.. वो ख़ास हो जाता है..!!

सब खुश थे, उन्हीं के बीच मैं गुम सा था, यही सत्य है यही जीवन है !

_ सब कुछ छणिक है, मस्त-मगन रहिए और इस दुनिया से कुच कर जाइए !!

जहाँ आप पहुंचे छलांगें लगा कर.. वहाँ मैं भी आया धीरे- धीरे !!!
अच्छे-अच्छे मुझे अच्छे नहीं लगते,

_ मेरे परखने का मिजाज थोड़ा अलग है.!!

कहते हैं लाइफ ड्रामा है,

_ पर यहां तो सब ओवर एक्टिंग कर रहे हैं, एक्टिंग के अंदर भी एक्टिंग..

_ तभी तो लाइफ फ्लॉप हो रही, अब पता चला सही से..!!

या रब “मुझे सदबुद्धि का खूबसूरत आशीर्वाद देना,”

_ सदबुद्धि के अभाव में ही एक इंसान उल-जुलूल हरकत करता है, जीवन में गलत का चुनाव करता है.!!

कभी-कभी अतीत को पीछे छोड़ देना ही बेहतर होता है.

_ हर कोई वही नहीं रहता जो पहले था, और कुछ रिश्ते समय के साथ बदल जाते हैं.

_ तुम्हें खुद पर ध्यान देना चाहिए और अपनी ज़िंदगी आगे बढ़ानी चाहिए.

_ तुम्हें ऐसे लोगों के साथ घूमना चाहिए, जो तुम्हें खुश करते हैं और तुम्हारी परवाह करते हैं.

रचनात्मकता के साथ जिम्मेदारी को भी बराबरी पर लेकर आगे बढ़ना..

_ ऐसा है जैसे बांसुरी बजाते हुए पीठ पर मन भर बोरा लेकर चलना…

_ इस गति से जीवन में सबकुछ बहुत दूर ही नजर आता है..!!

हम सब जीवन में अक्सर कमियों का, नाकामियों का, ग्लानियों, असफलताओं और अभावों का रोना रोते हैं – पर कभी हमने पलटकर और दो पल ठहरकर यह नही देखा कि मेरे पास क्या है जो मुझे औरों से अलग करता है,

_ वो क्या है – जो मेरे पास है और किसी के पास नही,

_ जो आपके पास है.. वह बिरला है और इसे पाने के लिये किसी दूसरे को कितने जीवन लग जायेंगे या अनथक प्रयास करना होंगे.. आप कल्पना भी नही कर सकते,

_ अब जब मैं धीरे – धीरे बहुत कुछ छोड़ता जा रहा हूँ, भीतर की ओर बढ़ रहा हूँ तो एहसास हो रहा है कि तमाम अवगुणों के बावजूद.. कुछ है जो मेरा है, अनूठा है..

_ और जिस पर मैं कम से कम भीतर ही भीतर ख़ुश हो सकता हूँ और गर्व कर सकता हूँ..

_ बस इतना कहूँगा कि जो आपके पास है, जैसा भी है, जितना भी है – उसे खोइये मत..

– वरना सच में आपके पास अपना कुछ नही रहेगा..

_ एक और दिन खोने से बड़ा दुःख दुनिया में कोई नहीं हो सकता.!!

“दौड़”

_ मैंने पूछा क्यों दौड़ रहे हो ?

_ उसने कहा, क्योंकि सब दौड़ रहे हैं.!!

“सब दौड़ रहे हैं तब.. मैं तो अपना एक कदम पीछे की ओर लूंगा !!”

अरे सब सिर्फ भाग रहे हैं.. शरीर आराम की तलाश में, हालात पैसों की तलाश में,

_ मन शांति की तलाश में, और दिल अपनो की तलाश में.!!

मेरे लिए जीवन रोज़ नये कौतुक से भरा होता है..रोज़मर्रा की छोटी छोटी बातें, घटनाएं मुझे अचंभित कर देती हैं..

_ सुबह सुबह बिना अलार्म घड़ी के ही चिड़ियों का चहचहाना..ये सब मामूली बातें होते हुए भी मुझे हैरान कर देती हैं..

_ कल की कली का फूल बन जाना, इतनी छोटी सी चींटी का इतना अनुशासित होना.. सब देखते ही दिल धकधक करने लगता..

_ किसी प्रसिद्ध गायक के वीडियो देखता हूँ तो पीछे वाद्य बजाने वाली मंडली को देखकर अवाक रह जाता हूँ, लगता है ऐसे कैसे कोई बजा सकता है..

_ दिल में एक काश सा उठता है कि-काश मुझमें भी यह कला होती !!

_ रोज़ दिन का उगना, रोज़ शाम का आना, रात का जादू सब मुझे परीलोक की घटनाएं लगती हैं,

_ सोचता हूँ.. कैसे सब घटनाएं एक निरंतरता में, सलीके से घटित होती हैं…

_ ट्रेनों का प्लेटफॉर्म पर लगना- चलना, हवाई जहाजों का आकाश में उड़ना, टिकट छपना, सब मशीनों, यंत्रों का कमाल भले हो..

_ पर मैं इन्हें उसी चकित भाव से देखता हूँ.. जैसे कोई बच्चा देखे..

_ कपड़े पर डिजाइन उकेरना, कुम्हार का चाक पर बर्तन बनाना.. सब मुझे रॉकेट साइंस जैसा गूढ़ और अनूठा लगता है..!

_ पेड़ के पत्तियों के झड़ने से लेकर उनमें नई पत्तियों के आने, उनके रोज़ रोज़ बड़े होने, रंग बदलने, फूल और फल आने को ग़ौर से, नियम से देखने पर भी लगता है कि यह तो जादू है..

_ कल पत्तियां बैंजनी थीं, आज काही कैसे हो गईं, अभी परसों ही तो इतनी छोटी थीं.. दो दिन में बड़ी कैसे हो गईं..!

_ लोगों को लिखते, पढ़ते, गाते, नाचते देखता हूँ तो जादू सा लगता है..लगता है कि क्या ही कमाल लोग हैं यार, कैसे कर लेते हैं यह सब..

_ मेरे लिए तो दुनिया की हर घटना, हर शै जादू से भरी..

_ जाने हैरानियों का सिलसिला कब थमेगा, जाने मेरे मन का बच्चा कब बड़ा होगा..जाने मुझे कब हर चीज़ मामूली लगेगी..!!

त्याग और तपस्या का जीवन जीने से ऐसा सात्विक भाव आता है कि मानो मैं पवित्र हो गया हूँ,

_ जो व्यक्ति अपने परिवार को सुचारू रूप से चलाता है, उससे बड़ा कोई तपस्वी नहीं है.

_ बिना किसी आसक्ति के अपने दायित्वों का निर्वाह करना किसी संतत्व से कम नहीं है.!!

“अब हर काम ही ध्यान है”

_ अब न मैं ध्यान करता हूँ,

_ अब तो बस हूँ…

_ हर श्वास में, हर चाल में, जैसे कोई मौन बहता हो..

_ चाय की प्याली उठाते समय, या किसी फूल को छूते हुए —

_ मन नहीं भागता,

_ वो तो यहीं है… ठहरा हुआ, लेकिन जीवित.

_ अब तो शब्द भी ध्यान हैं, और मौन भी.

_ अब तो हँसी भी प्रार्थना है, और आँसू भी स्वीकार.

_ ना कोई प्रयत्न है, ना कोई लक्ष्य,

_ सिर्फ एक सहज बहाव —

_ जैसे जीवन स्वयं ध्यान बन गया हो.

“अब बाहर की हलचल मुझे छूती जरूर है, लेकिन हिला नहीं पाती”

“हमें अपना ख्याल रखना चाहिए”

_ कोई भी आपके लिए ऐसा नहीं करेगा, कम से कम उस तरह तो नहीं जैसा आप चाहते हैं.

_ आपको अपने अंदर के बच्चे को साथ लेकर चलना चाहिए..

_ और वह सब करना चाहिए.. जो वह आपसे करवाना चाहता है,

_ क्योंकि कोई नहीं जान पाएगा कि आपने क्या नहीं जिया..

_ उन्हें नहीं पता कि आपके अंदर क्या है.

_ और अगर उन्हें पता भी है, तो यह उनका कर्तव्य नहीं है.

_ जो चीजें आपको खुश करती हैं, उन्हें करना आपका कर्तव्य है.

_ आपके चेहरे पर मुस्कान लाने वाली चीजें आपके अलावा कोई नहीं जान पाएगा..

_ और अगर आपको भी नहीं पता, तो पता लगाएँ.

_ घूमें-फिरें और पता लगाएँ कि आपको क्या खुशी देता है और उसका ख्याल रखें.

_ आपको उन लोगों का ख्याल रखने की ज़रूरत है.. जो आपके दिल के सबसे करीब हैं.

_ यह आपका कर्तव्य भी नहीं है, लेकिन यह आपकी खुशी के लिए है.

_ आपको अपने सारे काम खुद को खुश रखने के लिए करने चाहिए.

_ आपको अपना ख्याल उसी तरह रखना चाहिए.. जिस तरह आप दूसरों का रखते हैं.!!

इस उल-जुलूल दुनियां में खुद को खुश रखना, आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

_ लोग, वस्तु, संसार से लगाव कम कीजिए.

_ आपको सिर्फ और सिर्फ आप ही बचा सकते हैं, कोई दूजा न आएगा.!!

मैं कैसा हूँ !!! How am I !!!

मैं कैसा हूँ !!! How am I

“मैं कौन हूँ” तक पहुँचने के लिए.. – हमें “मेरा कौन है” से होकर गुजरना होगा.!!”

1. _ जो बना हो घर में, वह खा लेता हूँ. न बना हो तो भी कोई प्रॉब्लम नहीं, कुछ भी खा लेता हूँ.

_ मैं जो कर सका, किया : पैसा दिया, भरोसा किया ” जो मेरे हाथ में था, वो मैंने ईमानदारी से किया- अब बाकी सब ‘समय’ और ‘उसके हाथ’ में है.!!

_ अब मुझे केवल तीन जोड़ी कपड़े, कुछ किताबें, एक डायरी-पेन, एक पिट्ठू बैग, एक लैपटॉप और एक मोबाइल चाहिए.

_ “अब शोर अच्छा नहीं लगता, बस किताब, डायरी, पेन अच्छे लगते हैं”

_ मैं उन सभी सामानों से छुटकारा पा लूंगा, जिनका मैं उपयोग नहीं करूँगा..!!

_ मुझे किसी से कुछ भी नहीं लेना है, अपने सामर्थ्य से जीवन को खुशहाल रखना है.!!

_ मैंने अपनी जरूरतें सीमित कर ली हैं, ताकि मैं बीमारी से मुक्त हो सकूं..

_ मैं अब व्यर्थ के सामान नहीं खरीदता, सीमित सामान में ही अपनी जिंदगी जीता हूं.!!

_ भौतिक जीवन की विपदाएँ सहते रहता हूँ, घर में रहता हूँ लेकिन दिल से फ़क़ीर होता हूँ..!!

_ मेरी इच्छाएँ बहुत कम हैं..&_ मैं न तो उन्हें जाने देना चाहता हूं और न ही उन्हें पकड़कर रखना चाहता हूं..!!

_ अब मैं खुद को इतनी वैल्यू देता हूँ कि ख़ुद पर खर्च कर सकूँ – पैसा, समय, एहसास और शाबाशियां- प्रशंसाएँ..!!

_ मैं ऐसे दिन का हकदार हूं, जिसमें किसी समस्या का सामना न करना पड़े..कोई समाधान न ढूंढना पड़े.!!

_ मैं जैसा हूँ वैसा कोई मिलता ही नहीं ; लोग वही मिलते हैं जैसे वो होते हैं.!!

_ मैं उन लोगों में से हूँ, जिसे आप दोबारा हासिल नहीं कर सकते हैँ.!!

— तू तो बस इतनी सी कृपा करना कि.. किसी के जीवन में कभी भी बोझ कर न रहूं,

_ जब भी बोझ बनूँ, उससे पहले ही उनके जीवन से हमेशा के लिए दूर कर देना.!!

2. — “अलग हूँ गलत नहीं !!” _ मेरे इनर सर्कल में कोई आसानी से दाख़िल नहीं हो सकता, _ पर अगर कोई हो गया क्लोज़, तो कम से कम मेरी तरफ़ से दूर नहीं होंगे. _ जो हैं, वे रहेंगे, जब तक ख़ुद न दूर हों.

— मैं कभी भी किसी की निजी ज़िंदगी में दख़ल नहीं देता, क्योंकि हर इंसान का अपना एक स्पेस होता है ..जो सिर्फ और सिर्फ उसका होता है.!!

— लोगों के समझने से क्या होता है..मैं क्या हूँ मैं जानता हूँ और वो जानता है … _ कहने दीजिए ‘लोगों का काम है कहना’ ..मेरा जन्म लोगों को खुश करने के लिए नहीं हुआ है.!!

— मेरे शब्दो को वो नही समझेंगे, जिसके लिए वो कहे या लिखे गए हैं, बल्कि वो लोग समझेंगे.. जो उस दौर से गुजरे हैं.. जिनसे मैं गुजरा हूँ…!

_ अपनी मेंटल हेल्थ और Peace के ऊपर किसी को नहीं रखना, अगर कोई भी मेरी जिंदगी के Peace के Cost के ऊपर आ रहे हैं तो.. मुझे नहीं चाहिए.!!

3. — मैं न तो अपनी गलतियाँ स्वीकार करने में झिझकता हूँ और न ही अज्ञानता स्वीकार करने में.. _ कोशिश करता हूं कि पुरानी गलतियां दोबारा न दोहराऊं. _ ‘नया सीखने को हमेशा तैयार रहता हूँ.’ [I am a fast learner.]

4. — अपडेट रहने की सनक नहीं है. _ इसलिये बहुत किफ़ायत में बहुत कुछ किया जा सकता है, यह मानता हूँ. _ कुछ भी बहुत महँगा, ब्रांडेड नहीं मिलेगा, न ही हर गैजेट, इक्विपमेंट का लेटेस्ट मॉडल. _ जो चीज़ जब तक सही काम दे रही, बस अपडेट करने के लिये नहीं बदल देता.

5. — ख़ूबसूरत चीज़ों को देखकर ख़ुश होता हूँ, तारीफ़ करता हूँ, आगे बढ़ जाता हूँ. _ यह मेरे पास भी होना चाहिये ..या इसके पास है तो अब मुझे भी लेना होगा, _ ऐसी इच्छा नहीं पनपती दिल में तो दिमाग़ में सुकून रहता है.

6. — वक़्त से पहले, क़िस्मत से ज़्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता, यह मानता हूँ, _ जो अपना है, मिल ही जाएगा, कोई छीन नहीं सकता.. _ और जिसके पास जो है, नसीब है, यह सोचकर तसल्ली रहती है, सुकून रहता है.

7. — समझदार लोग किसी पर तब तक भरोसा नहीं करते, जब तक वे यक़ीन न दिला दें कि भरोसे के लायक़ हैं, _ लेकिन मैं सबको शक की नज़र से देखता हूँ, _ मैं आप पर भरोसा कर लूँगा, जब आप यक़ीन दिला दें कि आप भरोसे के लायक़ हैं. _ फाइनैंशली, इमोशनली बहुत चोट खाई है इस कारण.. _ लेकिन आगे भी मुझमें इसमें सुधार की गुंजाइश दिखती नहीं..

8. — apology accepted, access denied मोड पर हूँ. _ zero tolerance for shit, और ख़ुद को एक्सप्लेन करना भी बन्द कर दिया है. _ जो हूँ, जैसा हूँ, सामने हूँ. leave it or take it.

— अब मैंने स्वयं को ऐसा बना लिया है जहाँ से कोई भी मेरे सुख या दुःख का कारण नहीं बन सकेगा, बाह्य वातावरण में चाहे जो भी हो,

_ किन्तु मेरे अंदर क्या मुझे अनुभव करना है.. उसकी प्रकृति सिर्फ मैं तय करूंगा…!

9. — I am a patient listener. _ मैं बिन रोक-टोक बहुत धैर्य से सामने वाले की पूरी बात सुन सकता हूँ. _ जजमेंटल नहीं हूँ, फ़ालतू की मोरैलिटी [नैतिकता] के फेर में पड़ना छोड़ दिया है.

— मैं क्या हूं, मैं ऐसा क्युं हूं, अब मुझे किसी के आगे एक्सप्लेन नहीं करना,, मैं आपको सही लगता हूं अच्छी बात है अगर मैं आपको सही नहीं लगता.. उससे भी अच्छी बात है.!!

10. — How i want to live.

मुझे याद है कि मैं कैसे जीना चाहता हूं और इसके लिए एक ईमानदार प्रयास करता हूँ,

_ मैं अपना सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए अपना सब कुछ दे रहा हूं.!!

_ मुझे बस इतना करना है कि मैं आगे बढ़ूं और वही करूं.. जो मैं महसूस करता हूं..

– मैं हवा को, संगीत को सुनता हूं, आकाश, नदियों, पक्षियों को देखता हूं और खूब नाचता हूं.

– मेरी सबसे अच्छी बात यह है कि मेरे बाहर और मेरे अंदर कोई अंतर नहीं है.

– बाहर और भीतर दोनों जगह एक ही चीज महसूस करने के लिए मैंने बहुत मेहनत की है.

– इधर तो एक ही मसला है–जो अंदर है, वो बाहर है…अपने के नाम पर अपना कुछ भी नहीं..!!

_ मैं ऐसी स्थिति में पहुँच गया हूँ.. जहाँ मैं जो कुछ भी करता हूँ, उसका स्वामी मैं हूँ.

_ मैं वही करता हूँ जो मैं महसूस करता हूँ और वही कहता हूँ जो मेरे दिल में है

_मैं इसका भरपूर आनंद उठाता हूं और अंदर से सुंदर महसूस करता हूँ.

‘मस्त मौला’ अपने धुन में रहता हूं, मैं भी तेरे जैसा हूं.!!
ज़िंदगी है उलझती ही रहेगी, मैं भी ढीठ हूँ संवार ही लूंगा.!!
मैं प्रश्न सिर्फ़ अपने लिए नहीं पूछता,

_ बल्कि सबों के भीतर की बेचैनी को शब्द देता हूँ.!!

ख़ुद को इतना [exclusive] बनाओ कि देखने कि इज़ाज़त भी सिर्फ उसे मिले,

_ जो सच में [Deserve] करता हो..!!

मस्तराम मस्ती में, आग लगे बस्ती में..

_ पर सामाजिकता के चलते मुझे अपने को चिंता में निमग्न दिखाना भी आवश्यक होता है.!!

किस किस की फिक्र करें किस किस को रोएं,

_ आराम बड़ी चीज है मुंह ढक कर सोएं.!!

किसी भी चीज़ कि इतनी औकात कहाँ कि मुझे नशीला बना दे.!

_ मैं जहाँ से गुजरता हूँ.. वही मुझे नशीला बना देता है.!!

कभी वो इंसान मत बनो, जिसे अपने भीतर अनगिनत बात छुपाने या दबाने की जरुरत पड़ती है..

_ ज़िन्दगी की वास्तविक आज़ादी यहीं है, जहां तुम भीतर से भी आज़ाद रहो..

_ भीतर से “खाली” हो जाना, “मर” जाना नहीं होता.!!

सभी को हम अपनी तरह क्यों बना देना चाहते हैं.!!

_ आख़िर क्यों हो वह इसके, उसके या आपकी तरह..

_ वह अपनी तरह है, क्या यह उसकी ख़ासियत नहीं ?

_ वह अपनी तरह रहे, क्या यह ज़रूरी नहीं ?

_ इस दुनिया में किसी की तरह हो जाना बहुत आसान है..

_ लेकिन किसी से सीखना और सीखते हुए अपनी तरह होना बहुत मुश्किल.!!

इंसान कीमती अपने किरदार से होता है…हर कोई मुझे अफोर्ड नहीं कर पाएगा,

_ लोगों को पसंद है जी हुजूरिया… मेरी बातें कहां कोई, हर कोई सह पाएगा.!!

हाँ मेरे अंदर एक क्वालिटी है !! कि जो इंसान मुझे हर्ट करता है !. उस से मैं दूरी बना लेता हूँ….. हमेशा.. हमेशा के लिए…

_ फिर वह कोई हि क्यों ना हो…. मैं ऐसा ही हूँ..!!

मैं किसी से नफरत नही करता, बस थोड़ी परवाह कम करता हूँ, ताकि वो मेरे साथ थोड़ा अनकम्फर्टेबल महसूस करें,

_ नजदीकियां बढने से लोग आपसे अपेक्षा [Expectation] रखने लगते हैं

_ और फिर अपनापन कुछ देर बाद बोझिल लगने लगता है,

_ नजदीकियां न होने से दूरियां होने की भी संभावनाएं नहीं रहतीं.!!

व्यक्तिगत जीवन में मुझे औपचारिकताएं पूरी करना नहीं आता, मैं किसी का दिल रखने के लिए नहीं.. बल्कि दिल से बात करना पसन्द करता हूं,

_ जबतक अंतर्मन स्वीकृति न दे तब तक मैं किसी के पास भी नहीं फटकता,

_ अब इसे खूबी समझो या खराबी.. पर मैं ऐसा ही हूँ….!

_ इस दुनियाँ में जीवन व्यतीत करने के लिए मैंने एक आवरण बना लिया है,

_ उसके पीछे दुःख, उदासी, वेदना, कष्ट को बखूबी तरीके से छिपाने की कोशिश करता हूँ और अन्तत: सफल भी होता हूँ,

_ क्योंकि इस दुनियाँ को फरेब देखने की आदत लग चुकी है…!

_ मैं चाहता हूं कि लोग मुझे न समझें, मैं नहीं चाहता लोगों के सामने अच्छा बनके रहना, _ मैं कतई नहीं चाहता कि लोग मेरे अच्छाईयों को जाने..

_ मैं हमेशा लोगों के सामने छोटा बन के रहना चाहता हूं,

_ क्योंकि मैं दूसरों के सामने से ज्यादा खुद के सामने बेहतर बनना ज्यादा बेहतर समझता हूं.!!

और अब, मैं खुद से बस एक ही बात पूछता हूँ—क्या मैं उस व्यक्ति का सम्मान कर सकता हूँ.. जिसे मैं आईने में देखता हूँ ?

_ जब जवाब हाँ होता है, चाहे थोड़ा सा ही क्यों न हो, तो मुझे पता है कि मैं सही रास्ते पर चल रहा हूँ.

_ आज़ादी दुनिया को समझाने में नहीं है… “आज़ादी खुद के साथ शांति से रहने में है”

_ मैंने बार-बार यह देखा है कि चुप रहना कमज़ोरी नहीं—यह ताक़त है.

_ जब मैं बहस करना या खुद को सही ठहराना बंद कर देता हूँ, तो खामोशी मेरे लिए बोलती है.

_ मैं अब कुछ साबित करने के लिए नहीं जीता.

_ मुझे पता है कि यही मेरा इरादा है और अगर दूसरा इसे नहीं देख पा रहा है, तो मैं चाहे कितनी भी कोशिश कर लूँ, मैं उसे यह नहीं दिखा पाऊँगा.

_ मैं किसी को यह समझाने की कोशिश नहीं करता कि मैं अच्छा हूँ.

_ मेरा सच कोई विज्ञापन नहीं, एक खुशबू है—चाहे महसूस हो या न हो.!!

मैं वीरान रास्ते में लगे किसी पेड़ जैसा हूँ, जिसकी छाँव में प्रत्येक राहगीर सुकून पाता है, और फिर बढ़ जाता है अपनी मंजिल की ओर..!

_ उस पेड़ के पास यह सोचने तक का अधिकार नही होता कि उसने क्या पाया..

_ क्योंकि उसकी नियति में कुछ भी पाना है ही नही…!

मेरे लिए आध्यात्म जीवन जीने की एक कला है.

_ अध्यात्म पथ का पथिक किसी की समझ का मोहताज नहीं होता, क्योंकि उसे खुद ही खुद को समझना जरूरी होता है.!!

_ शायद मैं एक ही पैटर्न पर चलते-चलते थक गया था.

_ अंदर की आवाज़ों को कभी शब्द नहीं दिए.

_ क्योंकि अंदर की आवाज़ों का कोई जिम्मेदार नहीं कि किसी को दोष दूं.

_ शायद इसे ही खुद से प्यार करना कहते हैं,,, बाहरी चीज़ों में न उलझना..

_ कई वर्षों के बाद मुझे कुछ नया समझ में आने लगा.

_ जो इंसान के दुख और उसके मन को आजादी दे पाए.

_ नई विचारधारा और बस चलते जाना है.

_ मैं ज़्यादा बोलना नहीं जानता लेकिन जो भी कहता हूँ दिल से कहता हूँ.!!

मेरी सबसे नहीं बनती.. क्योंकि मुझे इंसान की ऊर्जा साफ़-साफ़ नज़र आ जाती है,

_ मुझे महसूस हो जाता है कि कौन वास्तविक है.!!

जो नहीं हो सकता, मुझे वही तो करना है.!!
मुझे मेरी ही याद आती है, अब मैं वो नहीं जो पहले था.!!
चालाकी करी तो नहीं.. चालाकी झेलने की ताकत भी नहीं रही.!!
मुझे औरों का पता नहीं,

_ मैं खुद को बेहतर बनाने में लगा हुआ हूँ.!!

इस दुनिया में ‘मैं हमेशा अजनबी हूँ’

_ मैं इसकी भाषा नहीं समझता, यह मेरी खामोशी नहीं समझती.!!

मैं चुपचाप अपने जीवन की लहरों के उतार-चढ़ाव को देख रहा हूँ,

_ अब मुझ पर बाह्य परिस्थितियों का असर कम होता है.!!

मैं कौन होता हूँ, किसी के लिए कुछ भी करने वाला…

_ आज तक खुद को कुछ नहीं पाया …बस अपनी presence देता हूं – इसके इलावा मुझे कुछ भी नहीं पता.!!

मुझे देर से एहसास हुआ कि मुझे अपने होने पर गर्व होना चाहिए.

_ मुझे लोगों से इतना खुलकर बात करने का पछतावा है.

_ मुझे कभी एहसास ही नहीं हुआ कि सिर्फ़ एक इंसान के सामने यह दिखाना कभी अच्छा नहीं होता कि आप पीड़ित- कमज़ोर हैं.

_ क्योंकि सालों से मैं दुनिया से अनजान था कि लोग भरोसे के लायक नहीं हैं..

_ या दूसरों को चोट पहुँचाने से पहले मैं कितना सोचता हूँ, यह नहीं सोचते.

_ आजकल लोग बस यही करते हैं.!!

मैं क्या चाहता था ?

_ ये सवाल अतीत के जीवन को सामने ला देता है.

_ फिर यह भी कि.. जो चाहता था.. उसमें मेरी चाह कितनी थी ?

_ मेरे ख़ुद के विचार, इच्छाएं कैसे थे..

_ स्कूल ख़त्म होते-होते डरने लगा कि.. जीवन में कुछ कर भी पाऊंगा कि नहीं,,

_ कुछ ऐसा.. जो ‘अर्थवान’ हो.

_ कुछ ऐसा.. जिससे सामाजिक स्वीकार्यता मिले.

_ धीरे-धीरे मन ने एक विद्रोही तेवर अख्तियार कर लिया.

_ सवाल आया कि.. मैं क्या करना चाहता हूँ ?

_ भीतर से बहुत स्पष्ट तो नहीं, पर जवाब मिला..

_ जो और लोग कर रहे हैं.. वो नहीं करना चाहता हूँ.

_ पर बहुत आश्वस्त नहीं था..

_ ज़हन में डर था कि क्या होगा..

_ क्या होगा का जवाब जानने बहोत जगह भटका..

_ सोचा कहीं तो पनाह मिलेगी..!

_ हर सुबह इस इच्छा के साथ उठता था, हर रात आशंका के साथ सोता था कि.. आगे क्या..!

_ मुझे गहरा अँधेरा दिखता था.!

_ मेरी चिंता यह थी कि.. इस अँधेरे को ही लोग रोशनी बताते थे..!!

“आजकल कहाँ हो” पूछते हैं सब ..मुझसे मेरा जवाब..

_ खुद को तलाश करता फ़िर रहा हूं मैं

_ घर मे ढूंढता हूँ.. नहीं मिलता मैं..

_ आईने में नज़र नही आता हूं मैं..

_ बाहर भीड़ में खो जाता हूँ मैं..

_ बस भटक रहा हूँ.. तलाश रहा हूँ.. ‘ख़ुद को मैं’

कुछ लोग दुराग्रही, पूर्वाग्रही, लबरे व कृतघ्न होते हैँ,

_ मैं तो कहूँगा, आप मेरे इधर हेरो भी नहीं, यही आपका मेरे ऊपर उपकार रहेगा.

_ मैं आपकी सीमाओं में नहीं बँधा हूँ.

_ आप बेवजह ही मुझसे कोई लिबर्टी नहीं ले सकते.

_ मुझे खुशी है मैंने “मानसिक विकृति की नुमाइश” करने वाले लोगों से ठीक-ठाक दूरी बनाई.

_ मुझसे मिलना है या मेरा आकलन करना है तो रू-ब-रू मिलो.!!

कई बार मेरे आगे मुश्किलें आती हैं, ऐसी समस्या आ खड़ी होती है.. जिसे सुलझाने में मैं स्वयं को असमर्थ पाता हूं.

_ एकाध दिन परेशान रहने के बाद खुद से कहता हूं, ‘तुम तो दूसरों की समस्याएं सुलझाने का दावा करते हो, फिर अपनी क्यों नहीं सुलझा सकते ?’

_ अपनी यह बात सुन कर मुझे फौरन कोई न कोई हल सूझ जाता है और बेचैन मन शांत हो जाता है.

_ खुद की काउंसलिंग भी बहुत ज़रूरी है.

_ दूसरों को समझाने के साथ-साथ खुद को भी समझाते रहना चाहिए.!!

अपने हुनर तले जिस-जिस ने अपनी दुनिया बनाई है,

_ कभी सुनना.. उन्होंने क्या क्या कीमत चुकाई है.!!

मैं कभी किसी से कोई वादा नहीं करता, क्यूंकि मैं जानता हूँ कि कोई भी वादा पूरा नहीं कर सकता,

_ हाँ मैं अपनी और से परवाह जरूर करूँगा, ये जरूर वादा करता हूँ..!!

ये जो हमारे भीतर हमेशा कुछ ना कुछ करते रहने का भूत चढ़ा है,

_ वही सारी समस्या की जड़ है.. वो हमसे हमारा ही परिचय नहीं होने देता.!!

जो आज मैं हूँ- वह पहले कभी नहीं था ; और जो कल होऊंगा, वो आज से और भी बेहतर होऊंगा.!!

_ मैं परफेक्ट नहीं हूँ, लेकिन मैं सोचता हूँ, महसूस करता हूँ, बदलने की चेष्टा करता हूँ – और यही मेरी खूबसूरती है.!!

जो आता है उसे आने दो, जो जाता है उसे जाने दो, और दूसरा कोई और रिवाज़ नहीं.. आता मुझे,

_ मै यहां अपने लिए आया हूं दुनिया को खुश करने नहीं.!!

जैसा आप सोचते हो, वैसा मैं हूँ नहीं ;

_ और जैसा मैं हूँ, वैसा आप सोच भी नहीं सकते.!!

बहुत ख़याल रखता हूँ मैं अपने दिल का,

_ इधर नहीं लगता तो उधर लगा लेता हूँ.!!

मैं कभी फूल नहीं तोड़ता..

_(फूल जितने खूबसूरत पृथ्वी का सौंदर्य बढ़ाते हुए लगते हैं,

इतने ख़ूबसूरत वो टूटकर, मुरझाकर नहीं लगते.)

पसंद और प्यार में क्या अंतर है ?

_ जब आपको कोई फूल अच्छा लगता है तो आप उसे तोड़ लेते हो.

_ जब आप किसी फूल से प्यार करते हैं, तो आप उसे पानी देते हो.

What is the difference between like and love? When you like a flower, you pluck it. When you love a flower, you water it.

अगर आप दूसरे लोगों की कही किसी ऐसी बात..

_ जिससे आपका कोई वास्ता न हो,

_ उस बात पे टोक के उन्हें परेशान न करें तो..

_ यकीन मानीये लोग आपको पसंद करेंगे और आपका सम्मान भी करेंगे,

_ ऐसे लोगों का सम्मान करना चाहिए..

_जो अपने काम से काम रखते हैं,

_ किसी को राह चलते छेड़ नही करते…!!

यूँ ही कट जाएगा सफर …

_ कभी किन्हीं वजहों से ज़िंदगी हमें स्लो डाउन कर देती है.

_ इतना स्लो डाउन कि ‘मैं हूँ भी’ अक्सर यह एहसास भी मुझसे छूटने लगता है.

_ दिन पर दिन, हफ्ते दर हफ्ते, महीनों पे महीने बस बीतते जाते हैं;

_ ऐसे मौसम, ऐसे हालात ज़िंदगी में ..कोई नई बात नहीं रह जाती है,

_ ऐसे में शरीर भी साथ नहीं देता, उसके लिए भी कड़ा संघर्ष करना पड़ता है.

— पर बात यहाँ यह सब नहीं है.

_ बात यह सब है कि ऐसे में किया किया जाए !

_ दो रास्ते हैं !!

_ या तो स्लो डाउन होने के साथ आराम से परास्त होकर खुद को ज़िंदा लाश सा होने दिया जाए..

_ या फिर जितना शरीर और मन से बने उतना काम किया जाए “कि ज़िंदा होने का एहसास बचा रहे”

_ शरीर में ज़्यादा आने-जाने की, बाहर निकलने की जान ना भी हो, तब भी बीच-बीच में जितना काम उठाया जा सके.. उठाना चाहिए.

_ पर अगर मैं सारी बातें सबकी मान लूंगा.. “तो ठीक जब होऊँगा, तब होऊँगा” पर मर यक़ीनन जाऊँगा.

_ दर्द हर वक़्त बना ही रहता है और बार-बार बिल्कुल सब कुछ बंद करना पड़ता है,

_ पर अब सोचा है जितना हो सकेगा.. उतना फिर से किताबों की तरफ़, पढ़ने की तरफ़, घूमने की तरफ लौटूँगा..!!

— जिसने ज़िंदगी भर मेहनत की हो.. उसको आराम यूँ भी रास नहीं आता.

_ आराम, और बीमार करने लगता है.

_ इसलिए इतना स्लो डाउन होना ही नहीं है कि.. “भूल ही जाऊँ कि ज़िंदा भी हूँ”

_ बस बात सिर्फ इतनी करनी है कि अब कुछ भी उतना ही करूंगा, जितना मन कहेगा.

_ सिर्फ़ उनसे मिलूँगा, जो अच्छे लगते हैं.

_ उतनी ही बात करूंगा, जितनी में दबाव महसूस ना हो.

— हालांकि अपनी फितरत कोई नहीं बदल पाता,

_ चाहे उसकी कीमत मन, देह सब को चुकानी पड़े ..तो वह मैं चुकाता ही रहूँगा,

_ पर उसके बावजूद..

_ “जितना हो सकेगा.. उतना मन का करूँगा”

_ ज़्यादा नहीं तो दो-तीन महीने में एक बार बाहर घूमने निकल सकूँ.

_ “””वो क्या कहते हैं…यूँ ही कट जाएगा सफर ..”””

—————————————-

– कभी कभी दिल करता है एक लंबे सफ़र पर निकल जाऊं,

_ प्यारे गाने सुनते हुए, रात हो तो चाँद को खामोश बैठे देखते हुए,

_ दिन हो तो खिड़की से पेड़, नदी ,पहाड़ निहारते हुए.

_ उसमे थोड़ी रिमझिम बारिश हो जाये तो क्या बात..

_ ..ठहरें तो बस सड़क किनारे टपरी की चाय पीने या बीच जंगल वाले रास्ते पर..

_ पलाश, रातरानी, या रंग बिरंगे जंगली फूल देखने …

_ बस मन करता है कि बस एक लंबे शांत सफ़र पर जाना है..

‘सफलता और खुशी’

सफलता और खुशी दो अलग-अलग चीजें हैं, इन्हें जोड़ने की कोशिश ना करें..

_ व्यक्ति को जीवन में सफल होने के बजाय अपनी तरफ से खुश रहने का ईमानदार प्रयास करना चाहिए,

_ क्योंकि हर व्यक्ति सफल ही इसलिए होना चाहता है ताकि अंत में खुश रह सके..

_यानी हर क्रिया इसलिए की जाती है ताकि प्रतिक्रिया में खुशी प्राप्त हो,

_ सफल होने के बाद भी जीवन में खुशी ना हो तो बड़ी से बड़ी सफलता भी निरर्थक लगती है.

मैं सीख रहा हूं हुनर..!

_ मैं घंटों तक कभी किसी से बात नहीं करता,

_ मन बहलाने के लिए किसी से चुगली-चारी नहीं करता,

_ अनावश्यक शॉपिंग करने बाजार जा कर पैसे बर्बाद नहीं करता,

_ मैं रहता हूँ, विकल्प की दुनिया में भी एकनिष्ठ होकर रहना,

_ अपने वक्त को किताबों और गीत संगीत की दुनिया में बिताना,

_ ख़ुद को व्यस्त कर लेना, हल पल कुछ नया सीखते रहना,

_ मुश्किल हालातों का डटकर सामना करना,

_ बुराई में भी अच्छाई को खोजना,

_ बिना कुछ कहे ही औरों के मन की बात को समझ लेना,

मैं सीख रहा हूं हुनर !!

मेरा पसंदीदा ये भी काम है,- Sony BBC earth, Discovery, Walking tour, Travel channel, देखना..

_ सबसे जरूरी चीज है सिनेमा देखना, इसमें चाहे फिल्म हों डॉक्यूमेंट्री हों या बेवसीरीज हों, अगर हो सके दूसरे देशों और दूसरी भाषाओं की फिल्में देखिए, जैसे अभी मलयालम सिनेमा में कमाल का काम हो रहा है. — अच्छे सिनेमा से आपको बहुत सी नई चीजें सीखने को मिलेंगी.

_ सारी पृथ्वी तो घूम नही सकता, न ही समुंदर में जा सकता _ तो ऐसे में एक ही चीज बचती है कि _रुम में बैठकर ये चैनल देख लो.

_ महा सागरों में ऐसे विचित्र ओर अद्भुत जीव है कि कल्पना से बाहर की बात है ;

_ पूरी दुनिया में लोग अलग अलग से ढंग से जी रहे हैं.!!

_ धरती पर या पानी मे या हवा में न जाने कितने अनगिनत जीव और लोग कितनी तरह से जी रहे हैं ; _ ये सोचकर ही मैं रोमांचित हो उठता हूँ..!!

_ पेड़ पौधों की चालाकियां ओर छोटी चींटी की समझदारी का फिर मछलियों की बुद्धि ! _ ये सब देखकर मैं अवाक् रह जाता हूँ.!!!

_ मुझे लगता है कि ये तीन चार चेनल ही देख लो तो “जीवन क्या है” समझ आ जाएगा..

_ स्पेस में ग्रह हो या फिर महा सागरों के विशाल या छोटे जीव ! और लोग ____ सब एक माला में जुड़े हुए हैं.

_ये सारा अस्तित्व [ Existence ] एक दूसरे की सांस लेकर जी रहा है,

_ सबका जीवन जुड़ा है आपस में.!!

_ और कहीं कोई एक जीवन बिगड़ता है तो _उसका प्रभाव सारे eco सिस्टम पर पड़ता है.!

_पर मनुष्य इतना बेहोश है कि _मनुष्यता ही ताक पर रखी हो _तब भी आराम से सोता है;

– फिर अन्य जीवों की फिक्र कौन करे..

_ “सच मे मूर्छित है व्यक्ति”

– इतनी बेहोशी भरा जीवन है कि “कब होश आएगा नहीं पता..”

मुझसे सीरियस बात नहीं होती.

_ जब कोई मुझे अपने दुख सुनाता है तो मुझे समझ ही ना आता.. मुझे रिएक्ट क्या करना होता है.

_ मै बस सुनता हूं और सुनाने वाला बंदे को ये लगने लगता है कि मै उसकी बातों मे इंटरेस्ट नहीं ले रहा.. जबकि ऐसा नही है.

_ दरअसल मुझे सहानुभूति भी देना नहीं आता.

_ मुझे समझ नही आता कि.. क्या बोलूं कि इन्हें लगे ..मै उनके साथ हूं.

_ पर बोलने से पहले ही मन मे संशय हो जाता है ..पता नहीं अगले का क्या रिएक्ट होगा.

_ मुझे तो अपने दुख पर भी कोई सहानुभूति नही पसंद..

_ कोई देता भी है तो.. मै खुद को कमजोर फील करने लगता हूं और ये मुझे बिल्कुल पसंद नही.

_ मै बस अपनी संवेदनाओं का ठीकरा खुद पर फोड़ता हूं.

_ मुझे व्यक्तिगत संबंध समझ नहीं आते अब, क्योंकि मानवता कहीं बहुत दूर जा चुकी..

_ “ऐसा ही हूं मैं”

आवश्यकता पड़ने पर मै आपको अपने हिस्से का भोजन तक दे दुँगा,

_ परन्तु मै आपके लिए किसी भी चाँद तारें जैसी अंतरिक्ष या अन्य किसी भौतिक असाध्य वस्तु को ले आने का दावा नहीं कर सकता ;

_ मुझे अगर मेरी सादगी के साथ अपना सको तो अपनाओ.!!

_ मै जहाँ भी हूँ ‘वही हूँ’.. जो मै रियल में हूँ,

_ आजतक मुझे इससे कोई इम्ब्रेसिंग नहीं हुई है.

_ क्योंकि ? ये मेरी रियलिटी है.

_ किसी और की वजह से गिल्ट मे मत जियो, बेखौफ़ मुस्कराते हुए अपने बेसिक पर बने रहो.!!

अब मैं वह व्यक्ति नहीं रहा.. जो पहले हुआ करता था.

_ मैंने बहुत कुछ सीखा है, बढ़ा हूं, और समय और अनुभव के द्वारा जिन बदलावों का मैं हिस्सा बना हूं, वही मेरी पहचान बन गए हैं.

_ अब मुझे खुद को किसी के सामने समझाने की जरूरत नहीं महसूस होती.

_ अगर कोई मेरे बारे में राय रखता है—चाहे वह अच्छी हो या बुरी—तो उसे रखे.

_ मैं अपनी ऊर्जा उन लोगों को साबित करने में बर्बाद नहीं करूंगा.. जिन्होंने पहले ही अपना फैसला कर लिया है.

_ मैंने उन लोगों से बहस करना छोड़ दिया है.. जो मेरी ऊर्जा के लायक नहीं हैं.

_ उन्हें बात करने दो,, उन्हें अनुमान लगाने दो,, मुझे कुछ साबित नहीं करना है.

_ मैं अभी भी उन लोगों की मौजूदगी की कद्र करता हूं.. जो मेरी जिंदगी में मायने रखते हैं, लेकिन अब मैं किसी से यह नहीं कहता कि रुक जाए.

_ अगर कोई जाने का निर्णय लेता है, तो मैं दरवाजा खुला छोड़ देता हूं.

_ मैं जीवन से जो मिला है, उसकी सराहना करता हूं, और अब मैं उससे अधिक नहीं मांगता.. जो मेरे लिए लिखा गया है.

_ मैं उन लोगों के लिए हूं.. जिन्हें मेरी जरूरत है, लेकिन मैं अपनी मौजूदगी को उन जगहों पर नहीं थोपता.. जहां मुझे होना चाहिए.

_ मैं दयालु हूं, लेकिन अब मैं भोला नहीं हूं.

_ मैं अपना विश्वास देता हूं, लेकिन अब किसी को इसे गलत इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दूंगा.

_ मैंने अपनी शांति की रक्षा करना सीख लिया है.

_ मैं खुद को किसी पर नहीं थोपता, और मैं अपनी राय को अपने तक ही रखता हूं.

_ कुछ लड़ाइयाँ लड़ने के लायक नहीं होतीं.

_ कुछ लोग पीछा करने के लायक नहीं होते.

— देखिए, मैंने विकास किया है. मैंने खुद को बदला है..

_ और पहली बार, बहुत समय बाद—यह यात्रा अब मेरे बारे में है..!!

मैं जो सोचता हूँ, उससे अलग बोलता हूं, और जो बोलता हूं, उससे भी अलग तरीके से लिखता हूं,

_ जैसे भीतर कोई और है, बाहर कोई और..

_ सोचना भी वैसा नहीं होता.. जैसा होना चाहिए..

_ और फिर, धीरे-धीरे मेरे असली “मैं” और मेरे कहे गए शब्दों के बीच एक अंधेरी-गहरी खाई बनती जाती है,

_ जिसमें गिरते हैं मेरे कुछ अधूरे सच, कुछ अनकहे सवाल, और कुछ ऐसे जवाब जिन्हें मैं कभी दे नहीं पाया..!!

“दो मैं”- “भीतर कोई और है…”

_ मैं जो सोचता हूँ — वो अक्सर चुप रह जाता है,

_ जैसे मन की किसी पुरानी तह में खुद को समेटे बैठा हो.

_ मैं जो बोलता हूँ — वो कभी-कभी इतना अलग होता है,

_ कि खुद मेरी ही आवाज़ मुझे परायी लगती है.

_ मैं जो लिखता हूँ — वो सुंदर तो लगता है, पर सच्चा नहीं लगता.

_ जैसे मैं धीरे-धीरे — अपने शब्दों से दूर होता जा रहा हूँ,

_ जैसे मैं और मेरी आत्मा.. दो किनारों पर बैठकर सिर्फ चुप्पी साझा कर रहे हों.

_ बीच में जो खाई है — वहीं गिरते हैं कुछ अधूरे सच, कुछ न बोले गए सवाल,

और कुछ ऐसे जवाब… जो शायद मैं कभी दे ही नहीं पाऊँगा.

> “शब्दों से बाहर जो मैं हूँ, वही शायद मेरा असली घर है..”

मेरा स्थान प्रार्थना या सांत्वना का स्थान नहीं है.

_ मेरा स्थान कोई ऐसा स्थान नहीं है _ जहाँ आप अपनी मनोकामना पूरी करने या सुख-सुविधा के लिए आ सको.

_ मेरा स्थान केवल आपको अधिक जागरूक, सतर्क बनने में मदद करने के लिए मौजूद है, ताकि आप स्वयं के लिए एक प्रकाश बन सकें.

_ मेरे पास देने के लिए बहुत कुछ है ; जितना आप सोचते हैं उससे कहीं अधिक _आप एक जगह से प्राप्त कर सकते हैं.

_ यदि आप कभी यहां हो तो, चौकस रहो, और ज्ञान बटोरो ;

_ आप मेरे शब्दों से कहीं अधिक अनुभव करेंगे..

_ जीना दुनिया की सबसे नायाब चीज है ; _ज्यादातर लोग बस जिंदा हैं.!!

_ कदम दर कदम, अपने सुधार से, _आप देखेंगे कि आपका जीवन कैसे बेहतर “और बेहतर होता जाता है..”.!!

जिस दिन मेरा प्रारब्ध पूरा हो गया.. उस दिन मै गया इस संसार से, तुम्हारा संसार तुमको मुबारक.!

_ ये मेरा प्रारब्ध ही है.. जो मुझको फंसाके रखा है.. अभी तक यहां पे,

_ प्रारब्ध पूरा हो जाए एक बार.. फिर करते रहना छल कपट धोखाधड़ी..

_ मैं तो चला जाऊंगा अपने घर.!!

मैं बदल रहा हूं, पर मेरे आस-पास के लोग नहीं..

_ कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे मैं किसी और दिशा में जा रहा हूं – एक शांत, गहरी और सत्य की दिशा में – लेकिन मेरे आस-पास के लोग वही पुरानी दुनिया में ही फंसे हुए हैं.

_ मैं झूठ नहीं बोल पाता, लेकिन यहां हर व्यवहार में नाटक है.

_ मैं अंतर-मौन में विश्राम चाहता हूं, लेकिन यहां सब कुछ शब्द और दिखावे से भरा है.

_ मैं विश्वास और दयाभाव लेकर चलता हूं, लेकिन सामने से द्वेष और इरादे का सामना होता है.

_ मुझे सबके मध्य में रहते हुए भी अपनी शांति और सत्य में स्थिर रहने की शक्ति दे.!!

_ शुरूआत में ये सब संभालना कठिन था.

_ कभी गुस्सा आया, कभी तन्हापन महसूस हुआ.

_ लगा जैसा गलत जगह आ गया हूं.

_ पर फिर समझा..

🌼 _ ये सफर मेरे लिए है, सबके लिए नहीं..

_ सभी अपनी जगह सही हैं, बस उनका समय अभी नहीं आया.

_ मैं अब किसी को बदलने की कोशिश नहीं करता.

_ मैं सिर्फ खुद को और गहरा करता हूं.

_ जब मैं अपने सत्य में स्थिर हो जाता हूँ,

_ तो वो लोग भी धीरे-धीरे बदलने लगते हैं – बिना बोले..!

🌱 मैं एक बीज हूं. पहले अँधेरा, फिर तन्हाई, और फिर उदय.

_ और शायद यही है जीवन का असली रूप – अपनी रोशनी में खिलना, बिना किसी शोर के.!!

_ ये परिवर्तन पहले तन्हा बनाता है, फिर मजबूत और अंत में आपको सबके लिए रोशनी बना देता है.!!

“मैं बदल रहा हूं, लेकिन दुनिया वैसी ही है” —

🌿 1. “मैं खुद को ढूंढ रहा हूं, और सब मुझे खोया हुआ कह रहे हैं”

2. “मैं चुप हो गया हूं, इसलिए लोग समझने लगे हैं कि कुछ तो गलत है”

3. “जब अंदर प्रकाश जगता है, तो बाहर का अंधेरा और ज़्यादा दिखाई देने लगता है”

4. “जो मुझे समझ नहीं पाये, उनके लिए मैं बदल गया हूं ; _ जो समझे, उनके लिए मैं निखर गया हूं”

5. “मेरा सफ़र अंदर की तरफ है, इसलिए लोग मुझे दूर होता हुआ महसूस करते हैं”

6. “मैं सच बोलता हूं, इसलिए मुझे अकेला रहना पड़ता है”

7. “मैंने व्यवहार में सहजता ढूंढी, लोगों ने मुझे असहज कह दिया”

8. “मैं रोशनी हो गया हूं, इसलिए मुझे अँधेरे पसंद नहीं आते”

“मैं अब वही नहीं हूँ”

_ आज अचानक.. अपनी ही याद आ गयी…क्या हुआ करता था मैं..”

_ मुझे अपने पुराने रूप में रहना बिल्कुल पसंद नहीं, वह एक दुःखी व्यक्ति था.!!

_ कभी-कभी पुराना रूप याद आकर मुझे झकझोर देता है..

_ वह मुझे यह दिखाता है कि.. मैंने कितनी दूर की यात्रा तय कर ली है.

_ वह दुःखी स्वरूप आज भी भीतर कहीं छाया-सा मौजूद हो सकता है,

_ लेकिन वह मुझे यह भी याद दिलाता है कि.. अब मैं उससे मुक्त हो चुका हूँ..

_ अपने बदल चुके स्वरूप को देखकर, मन को एक गहरी राहत मिलती है —

_ पुराने दुखों को छोड़ देने से जीवन में नई चमक आती है”

_ “मैं अब वही नहीं हूँ”

मैं ऐसे खो गया हूँ.. जैसे मेरा कभी अस्तित्व ही नहीं था..

_ यहाँ मेरे होने का कोई निशान नहीं है..

_ मैंने अपने सपनों की सारी धूल समेट कर फेंक दी है और अपने आँसू पोंछ दिए हैं.

_ कोई नहीं कह सकता कि.. मैं यहाँ था.

_ नहीं, मैं यहाँ बिल्कुल नहीं था,

_ मैं ऐसे दूर हूँ.. जैसे मैं यहाँ कभी था ही नहीं..

_ इस उम्मीद में कि.. मैं कोई निशान पीछे नहीं छोड़ गया हूँ.

_ इतने सालों में, मुझे बस एक ही चिंता थी कि.. मैं हर चीज़ की चिंता छोड़ दूँ.

_ मैं खुद के साथ जी सकता हूँ, पहले जैसा खोया हुआ.!!

मैं ऐसे खो गया हूँ.. जैसे मेरा कभी अस्तित्व ही नहीं था..

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Quotes by Vernon Howard

“You have succeeded in life when all you really want is only what you really need.” – Vernon Howard”

आप जीवन में तभी सफल हुए हैं जब आप वास्तव में केवल वही चाहते हैं जो आपको वास्तव में चाहिए “

Our freedom can be measured by the number of things we can walk away from.

हमारी स्वतंत्रता को उन चीज़ों की संख्या से मापा जा सकता है जिनसे हम दूर जा सकते हैं.

Freedom begins as we become conscious of it.

स्वतंत्रता की शुरुआत तब होती है जब हम इसके प्रति सचेत हो जाते हैं.

We clearly realize that freedom’s inner kingdom cannot be touched by exterior attacks.

हम स्पष्ट रूप से महसूस करते हैं कि स्वतंत्रता के आंतरिक साम्राज्य को बाहरी हमलों से नहीं छुआ जा सकता है.

The outer storm ceases the moment the inner storm ends, for they are the same storm.

बाहरी तूफ़ान उसी क्षण ख़त्म हो जाता है जब भीतरी तूफ़ान ख़त्म हो जाता है, क्योंकि ये वही तूफ़ान है.

Can you think of anything more permanently elating than to know that you are on the right road at last ?

क्या आप यह जानने से अधिक स्थायी रूप से प्रसन्न करने वाली किसी चीज़ के बारे में सोच सकते हैं कि आप आख़िरकार सही रास्ते पर हैं ?

Just be honest with yourself. That opens the door.

बस अपने प्रति ईमानदार रहें. वह दरवाजा खोलता है.

Genuine effort is success.

सच्चा प्रयास ही सफलता है.

Who asks a king for a penny ?

राजा से एक पैसा कौन माँगता है ?

All heartache is caused by wrong viewpoints.

दिल का सारा दर्द ग़लत दृष्टिकोण के कारण होता है.

Your central self is totally untouched by grief, confusion, desperation.

आपका केंद्रीय स्व दुःख, भ्रम, हताशा से पूरी तरह अछूता है.

It is utterly useless to try to change the outer world, for it is but a reflection of inner causes.

The true seeker seeks to change himself.

बाहरी दुनिया को बदलने की कोशिश करना पूरी तरह से बेकार है, क्योंकि यह आंतरिक कारणों का प्रतिबिंब मात्र है.

सच्चा साधक स्वयं को बदलना चाहता है.

The most marvelous experience of life is to transform life according to reality, not imagination.

जीवन का सबसे अद्भुत अनुभव जीवन को कल्पना के अनुसार नहीं बल्कि वास्तविकता के अनुसार बदलना है.

Self-knowledge is the great power by which we comprehend and control our lives.

आत्म-ज्ञान वह महान शक्ति है जिसके द्वारा हम अपने जीवन को समझते हैं और नियंत्रित करते हैं.

Self awakening enables you to see the human scene as it is, not as it appears to be, which frees you of its chaos.

आत्म जागृति आपको मानवीय दृश्य को वैसे ही देखने में सक्षम बनाती है जैसा वह है, न कि जैसा वह प्रतीत होता है, जो आपको उसकी अराजकता से मुक्त करता है.

Genuine kindness is not what we do, it is what we are.

सच्ची दयालुता वह नहीं है जो हम करते हैं, बल्कि वह है जो हम हैं.

Happiness is not the acquisition of anything; it’s the understanding of something.

ख़ुशी किसी चीज़ की प्राप्ति नहीं है; यह किसी चीज़ की समझ है.

Happiness is liberty from everything that makes us unhappy.

ख़ुशी हर उस चीज़ से मुक्ति है जो हमें दुखी करती है.

The world consists of imaginary people, claiming imaginary virtues and suffering from imaginary happiness.

दुनिया में काल्पनिक लोग हैं, जो काल्पनिक गुणों का दावा करते हैं और काल्पनिक खुशी से पीड़ित हैं.

A person obsessed with the need to be happy will never be so. The obsession is the obstruction.

खुश रहने की चाहत से ग्रस्त व्यक्ति कभी भी खुश नहीं रह पाता. जुनून ही बाधा है.

Happiness is yours in the here and now.

The painful states of anxiety and loneliness are abolished permanently.

Financial affairs are not financial problems.

You are at ease with yourself.

You are not at the mercy of unfulfilled cravings.

Confusion is replaced with clarity.

There is a relieving answer to every tormenting question.

You possess a True Self.

Something can be done about every unhappy condition.

While living in the world you can be inwardly detached from its sorrows to live with personal peace and sanity.

खुशियाँ यहीं और अभी में आपकी हैं.

चिंता और अकेलेपन की दर्दनाक स्थिति स्थायी रूप से समाप्त हो जाती है.

वित्तीय मामले वित्तीय समस्याएँ नहीं हैं.

आप अपने आप में सहज हैं.

आप अधूरी लालसाओं की दया पर निर्भर नहीं हैं.

भ्रम का स्थान स्पष्टता ने ले लिया है.

हर परेशान करने वाले सवाल का एक राहत भरा जवाब है.

आपके पास एक सच्चा आत्म है.

हर दुखी स्थिति के बारे में कुछ किया जा सकता है.

संसार में रहते हुए आप आंतरिक रूप से इसके दुखों से अलग होकर व्यक्तिगत शांति और विवेक के साथ रह सकते हैं.

Ignorant people remain ignorant because they have a secret agreement to call one another intelligent.

अज्ञानी लोग अज्ञानी बने रहते हैं क्योंकि उनमें एक दूसरे को बुद्धिमान कहने का गुप्त समझौता होता है.

Don’t look for someone in whom to believe. Believe in yourself. The only authentic authority is your own original nature.

किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश न करें जिस पर विश्वास करना है. अपने आप पर यकीन रखो. एकमात्र प्रामाणिक प्राधिकारी आपकी अपनी मूल प्रकृति है.

When you are genuinely strong, you neither attack nor defend and so retain your energy.

जब आप वास्तव में मजबूत होते हैं, तो आप न तो हमला करते हैं और न ही बचाव करते हैं और इसलिए अपनी ऊर्जा बरकरार रखते हैं.

It is against the law to permit weak people to steal your strength. Never permit it.

कमजोर लोगों को आपकी ताकत चुराने की इजाजत देना कानून के खिलाफ है. इसकी अनुमति कभी न दें.

Awareness of your weakness and confusion makes you strong because conscious awareness is the bright light that destroys the darkness of negativity.

Detection of inner negativity is not a negative act, but a courageously positive act that makes you a new person.

अपनी कमजोरी और भ्रम के प्रति जागरूकता आपको मजबूत बनाती है क्योंकि सचेत जागरूकता वह उज्ज्वल प्रकाश है जो नकारात्मकता के अंधेरे को नष्ट कर देती है.

आंतरिक नकारात्मकता का पता लगाना कोई नकारात्मक कार्य नहीं है, बल्कि एक साहसी सकारात्मक कार्य है जो आपको एक नया इंसान बनाता है.

The power of the present moment is so immense it is capable – when lived in fully – of destroying forever every past mistake and regret.

वर्तमान क्षण की शक्ति इतनी अपार है कि यह सक्षम है – जब इसे पूरी तरह से जिया जाए – तो हर पिछली गलती और पछतावे को हमेशा के लिए नष्ट कर दिया जाए.

You can end half your troubles immediately by no longer permitting people to tell you what you want.

आप लोगों को यह बताने की अनुमति न देकर कि आप क्या चाहते हैं, अपनी आधी परेशानियां तुरंत समाप्त कर सकते हैं.

The need to impress others causes half the world’s woes.

दूसरों को प्रभावित करने की आवश्यकता दुनिया की आधी परेशानियों का कारण बनती है.

We are slaves to whatever we don’t understand.

हम उस चीज़ के गुलाम हैं जिसे हम नहीं समझते हैं.

The answers come when you are quietly willing to be without them.

उत्तर तब मिलते हैं जब आप चुपचाप उनके बिना रहने को तैयार होते हैं.

You must dare to disassociate yourself from those who would delay your journey… Leave, depart, if not physically, then mentally.

Go your own way, quietly, undramatically, and venture toward Trueness at last.

आपको उन लोगों से खुद को अलग करने का साहस करना चाहिए जो आपकी यात्रा में देरी करेंगे… छोड़ें, प्रस्थान करें, शारीरिक रूप से नहीं तो मानसिक रूप से.

अपने रास्ते जाओ, चुपचाप, नाटकीय ढंग से, और अंततः सत्यता की ओर उद्यम करो.

Inner guidance is heard like soft music in the night by those who have learned to listen.

जिन लोगों ने सुनना सीख लिया है, उन्हें रात में आंतरिक मार्गदर्शन नरम संगीत की तरह सुनाई देता है.

The genuinely spiritual person is one who has lost all desire to be anyone but exactly who he is, without labels and without apologies. He is what he is and that’s all there’s is to it. Such a man is undivided, uncomplicated and contented.

सच्चा आध्यात्मिक व्यक्ति वह है जिसने कुछ भी बनने की इच्छा खो दी है, लेकिन वास्तव में वह कौन है, बिना किसी लेबल और बिना माफी के. वह वही है जो वह है और उसमें बस इतना ही है. ऐसा व्यक्ति अविभाजित, सरल और संतुष्ट होता है.

Don’t try to be spiritual. That is only a word in the dictionary. Make it your goal to become a normally functioning individual. Let these principles shape you according to your real nature of a simple, decent, honest, unafraid human being.

आध्यात्मिक बनने की कोशिश मत करो. वह शब्दकोष में केवल एक शब्द है. सामान्य रूप से कार्य करने वाला व्यक्ति बनना अपना लक्ष्य बनाएं. इन सिद्धांतों को एक सरल, सभ्य, ईमानदार, निडर इंसान के आपके वास्तविक स्वभाव के अनुसार आपको आकार देने दें.

Instead of fighting your problems, picture your way out of them.

अपनी समस्याओं से लड़ने के बजाय उनसे बाहर निकलने का रास्ता सोचें.

A desperation to escape a problem is the wrong way. A passion to understand it is the right way.

किसी समस्या से बचने की हताशा गलत तरीका है. इसे समझने का जुनून ही सही तरीका है.

What you really want for yourself is always trying to break through, just as a cooling breeze flows through an open window on a hot day.

Your part is to open the windows of your mind.

आप वास्तव में अपने लिए जो चाहते हैं, वह हमेशा तोड़ने की कोशिश करना है, जैसे गर्म दिन में खुली खिड़की से ठंडी हवा बहती है.

_आपका काम अपने दिमाग की खिड़कियाँ खोलना है.

To change what you get you must change who you are.

आपको जो मिलता है उसे बदलने के लिए आपको यह बदलना होगा कि आप कौन हैं.

We are exactly where we have chosen to be.

हम बिल्कुल वहीं हैं जहां हमने होना चुना है.

The only way to do something truly important every day is to seek to understand yourself every day.

हर दिन वास्तव में कुछ महत्वपूर्ण करने का एकमात्र तरीका हर दिन खुद को समझने की कोशिश करना है.

You can not escape a prison if you do not know you’re in one.

यदि आप नहीं जानते कि आप जेल में हैं तो आप जेल से बच नहीं सकते.

See human nonsense as nonsense and save years of trying to make sense out of it.

मानवीय बकवास को बकवास के रूप में देखें और इसका अर्थ निकालने की वर्षों की कोशिश से बचें.

Change is never a loss – it is change only.

परिवर्तन से कभी हानि नहीं होती – परिवर्तन ही होता है.

Remember above all that mental stability comes by examining the contents of the mind, not by avoidence.

सबसे पहले याद रखें कि मानसिक स्थिरता मन की सामग्री की जांच करने से आती है, टालने से नहीं.

Always walk through life as if you have something new to learn, and you will.

जीवन में हमेशा ऐसे चलें जैसे कि आपके पास सीखने के लिए कुछ नया है, और आप सीखेंगे.

The search for truth is really a lot of good fun.

सत्य की खोज वास्तव में बहुत मजेदार है.

Truth is not a matter of personal viewpoint.

सत्य व्यक्तिगत दृष्टिकोण का विषय नहीं है.

Our life-transformation is in exact proportion to the amount of truth we can take without running away.

हमारा जीवन-परिवर्तन बिल्कुल उसी अनुपात में होता है जितना सत्य हम बिना भागे ग्रहण कर सकते हैं.

Truth does not really hurt, rather it is our resistance to its message that causes us pain.

सत्य वास्तव में चोट नहीं पहुँचाता, बल्कि उसके सन्देश के प्रति हमारा प्रतिरोध ही हमें पीड़ा पहुँचाता है.

The reason why most people are frustrated is because a lie cannot be turned into a truth.

अधिकांश लोगों के निराश होने का कारण यह है कि झूठ को सच में नहीं बदला जा सकता.

Many of us knock on the door but remain outside, because knocking and entering are entirely different actions.

Knocking is necessary, consisting of reading books, attending meetings, asking questions.

But entrance requires much bolder action.

It requires one to enter into himself, to uncover hidden motives, to see contradictions, and to realize his actual power for self-change.

हममें से कई लोग दरवाजा खटखटाते हैं लेकिन बाहर ही रहते हैं, क्योंकि खटखटाना और प्रवेश करना पूरी तरह से अलग-अलग क्रियाएं हैं.

खटखटाना आवश्यक है, जिसमें किताबें पढ़ना, बैठकों में भाग लेना, प्रश्न पूछना शामिल है.

लेकिन प्रवेश के लिए अधिक साहसी कार्रवाई की आवश्यकता होती है.

इसके लिए व्यक्ति को स्वयं में प्रवेश करने, छिपे हुए उद्देश्यों को उजागर करने, विरोधाभासों को देखने और आत्म-परिवर्तन के लिए अपनी वास्तविक शक्ति का एहसास करने की आवश्यकता होती है.

Do not be impatient with your seemingly slow progress. Do not try to run faster than you presently can. If you are studying, reflecting and trying, you are making progress whether you are aware of it or not. A traveler walking the road in the darkness of night is still going forward. Someday, some way, everything will break open, like the natural unfolding of a rosebud.

अपनी धीमी प्रगति को लेकर अधीर न हों. जितना आप वर्तमान में दौड़ सकते हैं उससे अधिक तेज दौड़ने का प्रयास न करें. यदि आप अध्ययन कर रहे हैं, चिंतन कर रहे हैं और प्रयास कर रहे हैं, तो आप प्रगति कर रहे हैं, चाहे आप इसके बारे में जानते हों या नहीं. रात के अँधेरे में सड़क पर चलता हुआ एक यात्री अभी भी आगे बढ़ रहा है. किसी दिन, किसी तरह, सब कुछ खुल जाएगा, जैसे कि गुलाब की कली का प्राकृतिक रूप से खुलना.

Run forward when possible, walk ahead when you can, stagger onward when you must, but never cease your forward movement.

जब संभव हो तो आगे दौड़ें, जब संभव हो तो आगे बढ़ें, जब जरूरी हो तब लड़खड़ाएं, लेकिन अपनी आगे की गति को कभी बंद न करें.

Don’t try to be unafraid. That is impossible. Rather, go ahead while being afraid. That is the entire secret for abolishing fear. The Supermind teaches us to have no self-concern at all.

Whatever happens to you, act as though it happened to someone else.

डरने की कोशिश मत करो. यह असंभव है बल्कि डरते हुए आगे बढ़ें. भय को ख़त्म करने का यही संपूर्ण रहस्य है. सुपरमाइंड हमें बिल्कुल भी आत्म-चिंता न करना सिखाता है.

आपके साथ जो कुछ भी होता है, ऐसे व्यवहार करें जैसे कि वह किसी और के साथ हुआ हो.

No one on earth can hurt you, unless you accept the hurt in your own mind. . . The problem is not other people; it is your reaction.

पृथ्वी पर कोई भी आपको चोट नहीं पहुँचा सकता, जब तक कि आप उस चोट को अपने मन से स्वीकार न करें. . . समस्या अन्य लोग नहीं हैं; यह आपकी प्रतिक्रिया है.

The problem is not what other people think, do or say; it is your reaction.

समस्या यह नहीं है कि दूसरे लोग क्या सोचते हैं, क्या करते हैं या क्या कहते हैं; यह आपकी प्रतिक्रिया है.

Anger or bitterness toward those who have hurt you will block your path to higher ground. You can have anger toward people or you can have freedom from people, but you can’t have both.

जिन लोगों ने आपको चोट पहुंचाई है उनके प्रति गुस्सा या कड़वाहट आपके ऊंचे स्तर तक जाने का रास्ता रोक देगी. आपके मन में लोगों के प्रति गुस्सा हो सकता है या आपको लोगों से मुक्ति मिल सकती है, लेकिन आपके पास दोनों नहीं हो सकते.

Whenever encountering a troublesome person, do not identify him as being cruel or stupid or rude or anything else like that. Instead, see him as a frightened person.

जब भी किसी परेशान करने वाले व्यक्ति से सामना हो, तो उसे क्रूर या मूर्ख या असभ्य या उसके जैसा कुछ और न समझें. इसके बजाय, उसे एक भयभीत व्यक्ति के रूप में देखें.

Human sickness is so severe that few can bear to look at it…but those who do will become well.

मानव बीमारी इतनी गंभीर है कि कुछ ही लोग इसे देख पाते हैं…लेकिन जो ऐसा करते हैं वे ठीक हो जाते हैं.

The miracle of self-healing occurs when the inner patient yields to the inner physician.

स्व-उपचार का चमत्कार तब घटित होता है जब आंतरिक रोगी आंतरिक चिकित्सक के सामने झुक जाता है.

You need only choose … then keep choosing as many times as necessary. That is all you need do. And it is certainly something you can do. Then as you continue to choose, everything is yours.

आपको केवल चुनने की आवश्यकता है…फिर जितनी बार आवश्यक हो उतनी बार चुनते रहें. आपको बस इतना ही करना है. और यह निश्चित रूप से कुछ ऐसा है जो आप कर सकते हैं. फिर जैसे-जैसे आप चुनते जाते हैं, सब कुछ आपका हो जाता है.

Learn this great secret of life: What people call interruption or disturbance to their routine is just as much a part of living as the routine. To split life into two parts, one called routine and the other called interruption, is to be caught between them.

जानें जीवन का यह महान रहस्य: जिसे लोग अपनी दिनचर्या में रुकावट या अशांति कहते हैं, वह दिनचर्या की तरह ही जीवन का एक हिस्सा है. जीवन को दो हिस्सों में बाँटना, एक जिसे दिनचर्या कहते हैं और दूसरे को रुकावट, उनके बीच फँसना है.

Suppose you stand on a high place to enjoy the beauty of the sparkling sea below.

You need do nothing to create that beauty; you need only BE IN THE SAME PLACE WHERE IT IS, and let nature do the rest.

So it is with the inner life. There is nothing we can DO to gain psychic beauty. It already exists without our effort. We need only be where we belong, that is, in self-union. Then, beauty IS.

मान लीजिए कि आप नीचे चमकते समुद्र की सुंदरता का आनंद लेने के लिए एक ऊंचे स्थान पर खड़े हैं.

उस सुंदरता को बनाने के लिए आपको कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है; आपको बस उसी स्थान पर रहना है जहां वह है, और बाकी काम प्रकृति को करने दें.

आंतरिक जीवन के साथ भी ऐसा ही है. मानसिक सौंदर्य पाने के लिए हम कुछ नहीं कर सकते. यह हमारे प्रयास के बिना पहले से ही मौजूद है. हमें केवल वहीं रहना है जहां हम हैं, अर्थात् आत्म-मिलन में. फिर, सौंदर्य है.

Every day that you attempt to see things as they are in truth Is a supremely successful day.

हर दिन जब आप चीजों को वैसे ही देखने का प्रयास करते हैं जैसे वे सच में हैं तो वह अत्यंत सफल दिन होता है.

Don’t try to live. Let yourself be lived.

जीने की कोशिश मत करो. अपने आप को जीने दो.

A perfect method for awakening is to examine the results of our daily actions. If they are harmful, we know we need more consciousness.

जागृति का एक आदर्श तरीका हमारे दैनिक कार्यों के परिणामों की जांच करना है. यदि वे हानिकारक हैं, तो हम जानते हैं कि हमें अधिक चेतना की आवश्यकता है.

Have the daring to stop doing the things you really don’t want to do.

Can you see them ? Look closely.

Can you observe the many things you do because you reluctantly feel you should or must ?

Watch closely. Examine every action and reaction.

Do you act naturally or do you act because you feel compelled ?

If you feel compelled, stop. Compulsion is slavery.

Example: Refuse to go along with the crowd.

उन चीज़ों को करने से रोकने का साहस रखें जो आप वास्तव में नहीं करना चाहते हैं.

क्या आप उन्हें देख सकते हैं ? नज़दीक से देखें.

_ क्या आप उन कई चीजों का निरीक्षण कर सकते हैं जो आप इसलिए करते हैं क्योंकि आपको अनिच्छा से लगता है कि आपको ऐसा करना चाहिए या करना चाहिए ?

ध्यान से देखो. हर क्रिया और प्रतिक्रिया की जांच करें.

क्या आप स्वाभाविक रूप से कार्य करते हैं या आप इसलिए कार्य करते हैं क्योंकि आप मजबूर महसूस करते हैं ?

यदि आप मजबूर महसूस करते हैं, तो रुकें, मजबूरी गुलामी है.

उदाहरण: भीड़ के साथ चलने से इंकार करना.

You know what is right. Deep down, you know.

The battle between your true wisdom and the counterfeit wisdom of society is what causes frustration.

Refuse to compromise with what you know is right-with what is right for you.

तुम्हें पता है क्या सही है. गहराई से, आप जानते हैं.

आपकी सच्ची बुद्धि और समाज की नकली बुद्धि के बीच की लड़ाई ही निराशा का कारण बनती है.

जो आप जानते हैं कि वह सही है, उसके साथ समझौता करने से इनकार करें – जो आपके लिए सही है, उसके साथ समझौता करने से इनकार करें.

One of society’s absurd delusions is that the spending of money can cure something.

समाज का एक बेतुका भ्रम यह है कि पैसा खर्च करने से कुछ ठीक हो सकता है.

Society is like a crowd in carnival costumes with everyone fearful that others will see through his disguise.

समाज कार्निवाल वेशभूषा में एक भीड़ की तरह है जिसमें हर कोई इस बात से डरता है कि दूसरे लोग उसके भेष में देख लेंगे.

If heaven existed as a physical building on earth, human beings would remodel it to make it right.

यदि स्वर्ग पृथ्वी पर एक भौतिक इमारत के रूप में अस्तित्व में होता, तो मनुष्य इसे सही बनाने के लिए इसे फिर से तैयार करता.

We must become acquainted with our emotional household: we must see our feelings as they actually are, not as we assume they are. This breaks their hypnotic and damaging hold on us.

हमें अपने भावनात्मक परिवार से परिचित होना चाहिए: हमें अपनी भावनाओं को वैसे ही देखना चाहिए जैसे वे वास्तव में हैं, न कि जैसा हम मानते हैं कि वे हैं. इससे हम पर उनकी सम्मोहक और हानिकारक पकड़ टूट जाती है.

Procrastination is illogical from every viewpoint. It is like the man who wanted to cross the stream, so he sat on the bank to wait for all the water to run by.

टालमटोल हर दृष्टिकोण से अतार्किक है. यह उस आदमी के समान है जो धारा को पार करना चाहता था, इसलिए वह किनारे पर बैठ गया और सारा पानी बहने का इंतज़ार करने लगा.

Realize that the surface personality has no interest in anything which might disturb its darling delusions.

एहसास करें कि सतही व्यक्तित्व को किसी भी चीज़ में कोई दिलचस्पी नहीं है जो उसके प्रिय भ्रम को परेशान कर सकती है.

Beauty is only skin deep, but it’s a valuable asset if you’re poor or haven’t any sense.

सुंदरता केवल त्वचा तक ही सीमित होती है, लेकिन यदि आप गरीब हैं या आपके पास कोई समझ नहीं है तो यह एक मूल्यवान संपत्ति है.

The only reason you do not do great things is because you timidly cling to small things.

Will you let loose of small things and bear the uncertainty of having nothing for a while? Do this and eventually you will do great things.

आप महान कार्य नहीं कर पाते इसका एकमात्र कारण यह है कि आप डरपोक होकर छोटी-छोटी चीजों से चिपके रहते हैं.

क्या आप छोटी-छोटी चीज़ों को छोड़ देंगे और कुछ समय के लिए कुछ न होने की अनिश्चितता को सहन करेंगे ? ऐसा करो और अंततः आप महान कार्य करोगे.

A cheery relaxation is man’s natural state, just as nature itself is relaxed.

A waterfall is concerned only with being itself, not with doing something it considers waterfall-like.

प्रसन्नतापूर्ण विश्राम मनुष्य की स्वाभाविक अवस्था है, जैसे प्रकृति स्वयं शिथिल है.

एक झरने का संबंध केवल अपने होने से है, न कि कुछ ऐसा करने से जिसे वह झरने जैसा मानता है.

Everyone must concede that there is in existence something wiser than himself.

Now there is a challenge, there is a challenge which few even investigate.

We’re going to do that now.

Let’s see what we’re talking about.

All troubled people, which is all people, must if they are going to be delivered from themselves, must make the concession that there is a force, an entity, a power that is higher than their own present nature.

प्रत्येक व्यक्ति को यह स्वीकार करना चाहिए कि अस्तित्व में उससे भी अधिक बुद्धिमान कोई है.

अब एक चुनौती है, एक चुनौती है जिसकी जांच भी बहुत कम लोग करते हैं.

हम अब ऐसा करने जा रहे है.

आइए देखें कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं.

सभी परेशान लोगों को, यानी सभी लोगों को, अगर उन्हें खुद से छुटकारा पाना है, तो उन्हें यह रियायत देनी होगी कि एक शक्ति, एक इकाई, एक शक्ति है जो उनकी अपनी वर्तमान प्रकृति से ऊंची है.

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