बोर, बोरियत, ऊब, उबाऊ, डिप्रेशन, नीरसता या समानता से थक जाना – 2011

कोई उबाऊ विषय नहीं हैं, केवल उदासीन मन हैं.

There are no boring subjects, only disinterested minds. – Gilbert K. Chesterton

जब लोग ऊबते हैं तो यह मुख्य रूप से स्वयं से होता है.

When people are bored it is primarily with themselves. – Eric Hoffer

डिप्रेशन [ Depression ] क्या है ?

जिन विचारों या बातों को हमारा दिमाग सही मानता है, और फिर भी हम उनको जीने का साहस नहीं कर पाते, _तो वही विचार हमको बीमार बनाते हैं, यही है ” डिप्रेशन “

Note : जब कोई हमारे दिमाग पर कब्जा कर लेता है तो _हमें अपना सब कुछ गंवाना पड़ता है.

_दौलत की लूट से ज्यादा खतरनाक है, दिमाग का लुट जाना..

डिप्रेशन, बोरियत, निराशा, चिड़चिड़ापन, आक्रोश, गुस्सा, ईर्ष्या और डर जैसी भावनाएँ, बुरी खबर होने के बजाय, वास्तव में बहुत स्पष्ट क्षण हैं _जो हमें सिखाते हैं कि हम कहाँ रुके हुए हैं.

_ वे हमें सिखाते हैं कि _ जब हमें लगे कि हम ढह जाना पसंद करेंगे और पीछे हटना चाहेंगे तो हम खुश हो जाएं और झुक जाएं ;

_ वे हमारे सहयोगी की तरह हैं _ जो स्पष्टता के साथ हमें दिखाते हैं कि हम कहां फंस गए हैं..

_ यह क्षण ही आदर्श शिक्षक है, और, हमारे लिए भाग्यशाली है, हम जहां भी हों, यह हमारे साथ है… हमारे आनंद से जुड़ने में सबसे बड़ी बाधा “नाराजगी” है.

बोरियत [ Boredom ] मानसिक और आध्यात्मिक रूप से अलग होने से आती है.
बोरियत भी एक प्रकार की व्यस्तता है, जब कुछ करने को दिल नहीं करता.
बोरियत नवीनता की खोज को प्रेरित करती है ;

_बोरियत के बिना, इंसानों को साहस और नवीनता की तलाश की इच्छा नहीं होगी.

_ इससे ही हम जिज्ञासु और लगातार अगली नई चीज की तलाश में होते हैं.

_बोरियत एक भावनात्मक संकेत है कि _हम वह नहीं कर रहे हैं _जो हम करना चाहते हैं;

_अर्थात बोरियत नए लक्ष्यों का पीछा करने के लिए प्रेरित करती है.!!

जब भी बोरियत का अनुभव हो, _आप उस पल में अपने दिमाग या ऊर्जा के साथ _कुछ और कर के _इसे खत्म कर सकते हैं.!!
जीवन कभी उबाऊ नहीं होता, लेकिन हम लोग ऊबने और खुश न रहने का चुनाव करते हैं.

_खुश रहने के लिए आपको किसी वजह की जरूरत नहीं है…आपकी खुश रहने की इच्छा ही काफी है.

_हमारे पास वह सब कुछ है, जो हमें खुश रहने के लिए चाहिए, लेकिन हम खुश नहीं हैं ;

_ हम विवाह, प्रतिष्ठा, धन चाहते हैं और जो कुछ चाह रहे थे, _ वह प्राप्त हो जाने पर भी दुखी और विक्षिप्त रहते हैं.!

_मतलब कहीं तो कुछ छूट रहा है.!!

अधिकांश लोग ऊब से भरे है, क्यों कि जीवन को ढगं से जिया ही नही जा रहा..!!

_ हम सब बस अपने मनोवैज्ञानिक डिब्बे में कैद होकर जी रहे हैं,

_ व्यापकता से जुड़े बिना जीवन एक तुच्छ [Insignificant] सी चीज होकर रह जाता है..

_ जो बस आपके दिमाग में इकठ्ठा हुए डेटा के दायरे भर में सिमटा है,

– कीड़े मकोड़ों सा जीवन—पढाई–काम– शादी–बच्चे–मकान

_ एक बीमार व उबाऊ घिसटता जीवन..!!

_ हमें जीवन में एक नई दृष्टि को पाना है— “दिव्यदृष्टि”

मैं आप के लिए बहुत खुशी की कामना नहीं करता–यह आपको बोर कर देगा;

_मैं भी नहीं चाहता कि आप को परेशानी हो;

_ लेकिन, लोगों को दिखावा करते हुए, नहीं जियो ;

_ मैं बस दोहराऊंगा: ‘ज्यादा जियो’ और कोशिश करें कि _किसी तरह बहुत ज्यादा बोर न हों;

_ इसी ख़्वाहिश के साथ ‘ज्यादा जियो’

मन के उब जाने के बाद इस बात कि जरा भी फिक्र नहीं रहती कि अब सब कुछ कैसे खत्म किया जाए, _ बात चाहे किस्से कहानियों की हो,रिश्ते की हो या हो जिंदगी की सब अधूरा रह जाता है…!
भागदौड़ भरी जिन्दगी में हम सबकुछ करते हैं, बस खुदका ख्याल रखना भूल जाते हैं.

_ यह भूल शुरुआत में बहुत ही सामान्य लगती है ..लेकिन वक्त जैसे जैसे आगे बढ़ता है.

_ यह हमारे सामने कभी एंजाइटी तो कभी डिप्रेशन के रूप में आने लगती है और सामान्य नहीं रह जाती.

_ यह हमें एक ऐसी खाई की तरफ ले जाती है ..जहां पर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा होता है.

_ ऐसे में हमें सबसे पहले खुदका और खुद की मनोदशा का ख्याल रखने की जरूरत है.

_ खुद को सदैव अच्छा फील कराने की जरूरत है.

_ यह समझने की जरुरत है कि ..अपनी मेंटल हेल्थ और इमोशनल बैलेंस को कैसे स्थापित किया जा सकता है.

_ यह बातें छोटी मगर बेहद ही जरूरी हैं.

_ कुछ लोग इस जरूरत को खुद ही समझ जाते हैं, कुछ लोगों को इसे समझने में दिक्कत आती है.

_ अपने मनोदशा को समझने के क्रम में तरह तरह के संगीत और कला का आनंद ले सकते हैं.

_ तरह तरह की शारीरिक गतिविधियों और प्रकृति के माध्यम से अपने आपको हिल [ heal ] कर सकते हैं.

अवसादित मनुष्य अपने अवसाद [Depression] और विक्षिप्तता का परिचय स्वयं अपने शब्दों द्वारा नही करवाता.. बल्कि उसकी हरकतें उसका परिचय करवाती है,

_ जो शब्दों के द्वारा बताए अपनी हकीकत, वह महज वैसा दिखने की कोशिश कर रहा है, अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए…!

“हर व्यक्ति को बचपन से ही यह सीखना चाहिए कि खुद के साथ कैसे समय बिताना है. _ इसका मतलब यह नहीं है कि उसे अकेला रहना चाहिए, बल्कि यह है कि उसे खुद से ऊब नहीं होना चाहिए क्योंकि जो लोग अपनी ही संगति में ऊब जाते हैं, _ वे मुझे आत्मसम्मान के दृष्टिकोण से खतरे में लगते हैं.”

“Every person needs to learn from childhood how to be spend time with oneself. _ That doesn’t mean he should be lonely, but that he shouldn’t grow bored with himself because people who grow bored in their own company seem to me in danger, from a self-esteem point of view.”

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