Collection of Thought 892
जीवन को वैसे ही स्वीकार करना और जितना हम कर सकते हैं उसे बेहतर बनाने की कोशिश करना..
जीवन को वैसे ही स्वीकार करना और जितना हम कर सकते हैं उसे बेहतर बनाने की कोशिश करना..
शिक्षित होने वाला एकमात्र व्यक्ति वह है जिसने सीखना और बदलना सीखा है.
तथ्य हमेशा अनुकूल होते हैं, किसी भी क्षेत्र में प्राप्त किया जा सकने वाला प्रत्येक छोटा सा साक्ष्य, सत्य के बहुत अधिक निकट ले जाता है.
जब मैं दुनिया को देखता हूं तो मैं निराशावादी होता हूं, लेकिन जब मैं लोगों को देखता हूं तो मैं आशावादी होता हूं.
जिज्ञासु विरोधाभास यह है कि जब मैं खुद को वैसा ही स्वीकार करता हूं जैसा मैं हूं, तो मैं बदल सकता हूं.
_ ठोकरें भी बेहद जरुरी है, ज़िंदगी की मूरत तराशने में…
_ बल्कि आपके द्वारा किया गया व्यवहार तय करेगा.
_ बस उस शख्स की जगह हमेशा खाली रह जाती है.
_क्यूँकि जिन बाग़ों में माली नहीं होते वो बड़ी जल्दी उजड़ जाते हैं !!
_ हर किसी की रंगत व खूबियां भिन्न होती है.
_ लेकिन ये सभी हमारी ज़िंदगी महकाते जरूर हैं.
_ एक फूल के मुरझा जाने से हम पूरे बाग को नहीं छोड़ देते.
_बल्कि ये प्रयास करते हैं कि दूसरे फूल खिलते रहें.
_ बस यही ज़िन्दगी है…
_ खुशी इस बात में है कि हम उन्हें कैसे जवाब देते हैं.